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शेयर की फेस वैल्यू, इन्ट्रिंसिक वैल्यू और मार्केट वैल्यू का मतलब क्या होता है ? Share Price in Hindi.

स्टॉक मार्केट में निवेश करने की समझदारी में शामिल होता है, कंपनी के शेयर की असली कीमत का पता लगाना। शेयर की मार्केट में अभी चल रही प्राइस पर निवेश करना है या नहीं? इस सवाल का जवाब हम पता लगा सकते हैं उसकी फेस वैल्यू, इंट्रिसिक वैल्यू और मार्केट वैल्यू के द्वारा।

            तो चलिए आज हम यहाँ पर मिलकर, "शेयर की फेस वैल्यू, इंट्रिसिक वैल्यू और मार्केट वैल्यू का मतलब क्या होता है ?" यह समज़ते है। 

Stock makret face value, Intrinsic value and market value
face value, Intrinsic value and market value in Hindi.


हमें Stock Market में निवेश करने के लिए शेयर के फेस वैल्यू, इंट्रिसिक वैल्यू और मार्केट वैल्यू को समझना आवश्यक है। ये शब्द पहली बार में थोड़े तकनीकी लग सकते हैं, लेकिन प्रैक्टिस करके आसानी से इस्तेमाल कर सकते है। 


    शेयर की फेस वैल्यू 

    "फेस वैल्यू याने कि प्राइस टैग।" यह कंपनी के शेयर की कीमत होती है जो की उसपर छापी हुई होती है।

    कंपनी आईपीओ लेकर स्टॉक मार्केट में आती है तब जो कीमत प्रत्येक शेयर के लिए तय की जाती है उसे फेस वैल्यू कहते है। 

    उदाहरण 1

    उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी Rs.10 के फेस वैल्यू के साथ शेयर जारी करती है, तो यह वह कीमत है जो कंपनी को प्रति शेयर तब मिलेगी जब शेयर को शुरू में कंपनी के द्वारा बेचा जाएगा।

    उदाहरण 2

    मान लीजिए ABC Ltd. कंपनी Rs.10 के फेस वैल्यू वाले नए शेयर जारी करने का फैसला करती है। इसका मतलब है कि जब ABC Ltd. पहली बार इन शेयरों को बेचती है, तो कंपनी के लिए प्रत्येक शेयर का मूल्य Rs.10 होता है। 

            यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि, फेस वैल्यू समय के साथ नहीं बदलती है। भले ही शेयर की कीमत स्टॉक मार्केट में बढ़े या गिरे, फेस वैल्यू वही रहती है। 

            आसान भाषा में समझा जाए तो, "फेस वैल्यू यह लेखांकन उद्देश्यों के लिए और कंपनी के दृष्टिकोण से शेयर के मूल मूल्य को समझने के लिए उपयोगी है।"


    फेस वैल्यू पर बोनस और स्टॉक स्प्लिट का असर। 

    बोनस इश्यू से टोटल शेयर्स की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन प्रति शेयर फेस वैल्यू कम हो जाती है, क्योंकि टोटल कैपिटल सेम रहता है। 

            इसके विपरीत, स्टॉक स्प्लिट से भी टोटल शेयर्स की संख्या बढ़ जाती है, जब कि आनुपातिक रूप से फेस वैल्यू कम हो जाती है, जिससे कंपनी के कुल मार्केट कैपिटलमें बदलाव किए बिना शेयर की कीमत कम याने कि विभाजित हो जाती हैं।


    शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू

    "इन्ट्रिंसिक वैल्यू याने की असली कीमत।" ग्राउंड रियालिटी के आधार पर उपलब्ध जानकारी के साथ, शेयर का जो वास्तविक मूल्य निकलता है, उसे इन्ट्रिंसिक वैल्यू कहते है।

            शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू याने की वह कीमत होती है जो कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करके निकाली जाती है। इसमें कंपनी की आय, आर्थिक हालात, भविष्य की विकास क्षमता और अन्य महत्वपूर्ण घटकों को देखना शामिल है।

    उदाहरण

    चलिए ABC Ltd. पर वापस चलते हैं। यदि हम कंपनी की आय, आर्थिक हालात, भविष्य की विकास क्षमता की संभावनाओं का विश्लेषण करते हैं और गहन शोध के बाद, हम यह निर्धारित करते हैं कि, इसकी वर्तमान आय और विकास क्षमता के आधार पर, प्रत्येक शेयर की असली कीमत Rs. 20 है।

            यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि, अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलावों के साथ कंपनी के परफॉर्मन्स में बदलाव होते रहते है। इन्ट्रिंसिक वैल्यू यह फंडामेंटल चेंजेस की वजह से बदलती रहती है।  


    शेयर की मार्केट वैल्यू

    "मार्केट वैल्यू याने कि शेयर की करंट प्राइस।" मार्केट वैल्यू वह मौजूदा कीमत है जिस पर Stock Market में कोई शेयर खरीदा और बेचा जाता है। यह कीमत न्यूज़, डिमांड और सप्लाई, ट्रेडर्स और निवेशकों की भावना और अन्य घटकों के आधार पर उतार-चढ़ाव करती है।

    उदाहरण

    हमारे ABC Ltd. के उदाहरण को जारी रखते हुए, मान लो कि हमने Rs. 10 के शुरुआती फेस वैल्यू पर कोई शेयर खरीदते हैं। समय के साथ, कंपनी बहुत लोकप्रिय हो जाती है, और इसके शेयरों की मांग बढ़ जाती है। इससे ABC Ltd. के शेयरों की मार्केट वैल्यू Rs. 25 या Rs. 30 तक भी बढ़ सकती है।

    अब अगर हम अपने शेयर्स Rs. 30 पर बेचते हैं, तो हम इसे मार्केट में चल रही कीमत पर बेच रहे हैं। यह प्राइस प्रतिदिन इस आधार पर बदलती है कि, दूसरे ट्रेडर्स और निवेशक कंपनी के प्रदर्शन और क्षमता को कैसे देखते हैं। इन्ट्रिंसिक वैल्यू के विपरीत, मार्केट वैल्यू काफी तेज़ी से ऊपर या नीचे जा सकती है।

    How to describe Share Price in Stock Market?
    Share Price in Stock Market in Hindi.


    इन्वेस्टमेंट के लिए इन्ट्रिंसिक वैल्यू

    इन्ट्रिंसिक वैल्यू यह कम्पनी की वास्तविक वैल्यू को दर्शाती है। इसलिए लम्बे अवधि के निवेश करने के लिए इसे जानना आवश्यक होता है।

            ज्यादातर बार स्टॉक मार्केट में चल रही कीमत असली कीमत से ज्यादा होती है। लेकिन कभी कभी विशेष कारणों की वजह से मार्केट गिर जाता है और शेयर्स अपने इन्ट्रिंसिक वैल्यू पर या उससे भी निचे चली जाती है। ऐसे में स्टॉक मार्केट में निवेश करने की रणनीति को "वैल्यू बायिंग" कहा जाता है।


    ट्रेडिंग के लिए मार्केट वैल्यू

    मार्केट वैल्यू यह कम्पनी के मार्केट कैपिटल को दर्शाती है। यह स्टॉक मार्केट मूवमेंट, ट्रेंड के कारण बदलती रहती है। इसलिए इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए इसके मूवमेंट, ट्रेंड को जानना आवश्यक होता है। 

            स्टॉक मार्केट में चल रहे कारोबार में शेयर्स की बाजार कीमत कभी ज्यादा और कभी कम होती रहती है। इसके सटीक विश्लेषण से आगे के मूवमेंट का आकलन करके ट्रेड करने से मुनाफा प्राप्त होता है। 


    उपयुक्त जानकारी

    शेयर्स प्लेजिंग क्या है ? शेयर्स प्लेज करके ट्रेडिंग कैसे करें ?


    हमने यह जाना

    शेयर की फेस वैल्यू, इन्ट्रिंसिक वैल्यू और मार्केट वैल्यू के बारे में हमने यह जाना कि, किसी शेयर की फेस वैल्यू, इन्ट्रिंसिक वैल्यू और मार्केट वैल्यू उस कंपनी के स्टॉक के अलग-अलग पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

            फेस वैल्यू यह, शेयर्स जारी करने वाली कंपनी द्वारा शेयर को दिया गया नाममात्र मूल्य है। इन्ट्रिंसिक वैल्यू यह, आय, विकास क्षमता और जोखिम जैसे कारकों पर विचार करते हुए फंडामेंटल एनालिसिस के आधार पर शेयर के वास्तविक मूल्य को दर्शाता है। 

            मार्केट वैल्यू यह, स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर की करंट प्राइस है, जो बाजार की डिमांड और सप्लाई से प्रभावित होता है। इन मूल्यों को समझने से ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।


    Face Value, Intrinsic Value and Market Value FAQ's


    1 ) शेयर की फेस वैल्यू कौन तय करता है?

    शेयर की फेस वैल्यू कंपनी तय करती है।

    2 ) शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू कौन तय करता है?

    शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू फंडामेंटल एनालिस्ट, इन्वेस्टर्स तय करते है।

    3 ) शेयर की मार्केट वैल्यू कौन तय करता है?

    शेयर की मार्केट वैल्यू डिमांड-सप्लाई के अनुसार स्टॉक मार्केट खुद तय करता है।

    4 ) शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू बढ़ने का क्या मतलब निकलता है?

    शेयर की इन्ट्रिंसिक वैल्यू बढ़ने का यह मतलब निकलता है कि, कंपनी के परफॉर्मन्स में ग्रोथ हो रही है।

    5 ) शेयर की मार्केट वैल्यू बढ़ने का क्या मतलब निकलता है?

    शेयर की मार्केट वैल्यू बढ़ने का यह मतलब निकलता है कि, कंपनी के शेयर्स की डिमांड बढ़ रही है।


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