Ads Header

स्टॉक मार्केट में सेंसेटिविटी एनालिसिस कैसे करे ? Sensitivity Analysis in Hindi.

दोस्तों, हमने किया फंडामेंटल एनालिसिस और टेक्निकल एनालिसिस हमेशा। तो हम सभी जानते  किया जाता है। अब हम यहाँ पर मिलकर एक नई मेथड सीखेंगे जिसका नाम है - सेंसेटिविटी एनालिसिस। 

        सेंसेटिविटी एनालिसिस क्या है? सेंसेटिविटी एनालिसिस का महत्व क्या है? "स्टॉक मार्केट में सेंसेटिविटी एनालिसिस कैसे करे ?" यह जानेंगे। यह स्टॉक की वैल्यू से सम्बंधित है। इसके इस्तेमाल से हम अपने पोर्टफोलिओ का परफॉरमेंस बेहतर कर सकते है। 

Stock Market Sensetivity Analysis in Hindi.
Stock Market Sensetivity Analysis.


इसे ध्यान में लें की, सेंसेटिविटी एनालिसिस ऐसा टूल है जिसका उपयोग फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस के सन्दर्भ में किया जाता है। लेकिन उन्हें रीप्लेस नहीं करता है। बल्कि उन्हें कम्प्लीमेंट्री करता है। इसका इस्तेमाल "फायनांशियल मॉडल्स" में किया जाता है। 

     

    सेंसेटिविटी एनालिसिस क्या है?

    सेंसेटिविटी एनालिसिस में इकोनॉमिक वेरिएबल्स (Economic Veriables) के बदलाव, शेयर के कीमत पर किस तरह से प्रभाव डाल सकते है इसका एनालिसिस किया जाता है। 

    सेंसेटिविटी एनालिसिस याने की एनालिसिस करने का एक तरीका है। यह साइंस से ज्यादा एक कला है। इससे कंपनी के शेयर का परफॉर्मन्स भविष्य में कैसा रह सकता है यह पता लगाने की कोशिश की जाती है। 


    स्टॉक मार्केट में सेंसेटिविटी एनालिसिस कैसे करे ?

    लम्बे समय के निवेश में बने रहने के लिए सेंसेटिविटी एनालिसिस किया जाता है। इसके कुछ घटक यहाँ उपलब्ध है। यह घटक जरूरत के हिसाब से लिये  जाते है। 

    1 ) Revenue Growth Rates: कंपनी की सेल्स और उत्पन्न प्रोफिटेबिलिटी पर प्रभाव डालते है। सेंसेटिविटी एनालिसिस से पता चलता है की, सेल्स और उत्पन्न में हुआ बदलाव शेयर की कीमत में किस तरह का बदलाव ला  सकता है। 

    2 ) Cost of Goods Sold (COGS): उत्पादन लागत और कच्चे माल की क़ीमतों मे हुए बदलाव ओवरऑल प्रॉफिट पर कैसा असर करता है। 

    3 ) Operating Expenses: सैलरी, रेंट, मार्केटिंग कॉस्ट, इ. के बदलाव ओवरऑल प्रॉफिट पर कैसे असर करते है। 

    4 ) Interest Rates: ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव इंटेरेस्ट एक्सपेंडिचर पर प्रभाव डालते है। इससे कैपिटल की लागत पर असर होता है। इसका सीधा असर शेयर की कीमत पर पड़ता है। इसका सेंसेटिविटी एनालिसिस से पता चलता है। 

    5 ) Exchange Rates: इंटरनॅशनल कारोबार में एक्सचेज रेट्स में हुए बदलाव असर  करते है। इससे उत्पन्न और मुनाफे पर प्रभाव पड़ता है। 

    6 ) Commodity Prices: अगर कंपनी अपने उत्पादनों के लिए मेटल्स, ऑइल, या खेती रिलेटेड कच्चे माल पर निर्भर करती है तो इनके कीमतों के बदलाव कंपनी के प्रॉफ़िट्स पर प्रभाव डालती है। इसका सेंसेटिविटी एनालिसिस से पता चलता है। 

    7 ) Tax Rates: टेक्स रेट के हुई बढ़त कंपनी की लागत बढाती है। इससे कॅश फ्लो और मुनाफा प्रभावित होता है। 

    8 ) Capital Expenditures: कंपनी के प्रोजेक्ट्स की लागत में हुए बदलाव उसके ऑपरेशनल इफिशिएंसी प्रभाव डालते है। 

    9 ) Market Share: कंपनी के उत्पादनों के मार्केट-शेयर में हुए बदलाव रेवेन्यू पर असर करते है।

    10 ) Economic Conditions: जीडीपी रेट्स, भाववाढ, बेरोजगारी दर कंपनी के ओवरऑल परफॉर्मन्स पर असर करते है। इसका सेंसेटिविटी एनालिसिस से पता चलता है।

    11 ) Customer Demand: कंपनी के वस्तुंए-सेवाओं की डिमांड में हुए बदलाव उत्पन्न और प्रॉफ़िट्स पर सीधा असर करते है।

    12 ) Regulatory Changes: कानूनों में हुए बदलाव कंपनी के ऑपरेटिंग कॉस्ट, उत्पन्न के स्त्रोत पर प्रभाव डालते है।

    13 ) Competitive Landscape: बाजार की स्पर्धा, नया संशोधन, मार्केट के डायनामिक्स चेंज करती है। इसका असर कंपनी के परफॉर्मन्स पर पड़ता है। इससे शेयर की कीमत पर क्या असर हो सकता है यह सेंसेटिविटी एनालिसिस से पता चलता है।      

    Stock Market Sensetivity Analysis in Hindi.
    Stock Market Sensetivity Analysis in Hindi.


    सेंसेटिविटी एनालिसिस का महत्व क्या है?

    स्टॉक मार्केट में लम्बी अवधि के निवेश करने के लिए कंपनी का सेंसेटिविटी एनालिसिस किया जाता है। अर्थव्यवस्था के घटक जो की कंपनी के परफॉरमेंस पर प्रभाव डालते है, उनकी जानकारी रखने के लिए यह महत्वपूर्ण होता है। 

            यदि हम छोटे कैपिटल के साथ स्टॉक मार्केट में आए है और अपना पोर्टफोलिओ बनाना चाहते है तो सेंसेटिविटी एनालिसिस करके कम्पनीज का सिलेक्शन करना चाहिए। इससे "स्टॉक की फ्यूचर परफॉर्मन्स" का पता चलता है। 


    फंडामेंटल एनालिसिस बनाम (डिफरेंस) सेंसेटिविटी एनालिसिस 

    1 ) फंडामेंटल एनालिसिस में आर्थिक और वित्तीय कारकों के आधार पर कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य और आंतरिक मूल्य का मूल्यांकन करना शामिल है।

    सेंसेटिविटी एनालिसिस यह आकलन करती है कि, एक या अधिक इकोनॉमिक वेरिएबल्स में परिवर्तन, किसी कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।


    2 ) फंडामेंटल एनालिसिस में एनालिस्ट, कंपनी के स्टॉक का सही मूल्य निर्धारित करने के लिए फायनांशियल स्टेटमेंट्स, मैनेजमेंट, उद्योग की स्थिति की जांच करते हैं। 

    सेंसेटिविटी एनालिसिस में कॅश फ्लो, व्हेलुएशन्स और शेयर की कीमतों की, इकोनॉमिक वेरिएबल्स के बदलाओं के आधार पर जाँच करते है। 


    टेक्निकल एनालिसिस बनाम (डिफरेंस) सेंसेटिविटी एनालिसिस

    1 ) टेक्निकल एनालिसिस में "चार्ट का अध्ययन" किया जाता है। शेयर की कीमत के मूवमेंट्स, पैटर्न्स के आधार पर आगे के रुझानों का अंदाजा लगाया जाता है। 

    सेंसेटिविटी एनालिसिस में कंपनी के "ओवरऑल परफॉर्मन्स का अध्ययन" किया जाता है। कंपनी का परफॉर्मन्स उसके शेयर के कीमत पर किस तरह का प्रभाव डाल सकता है ? इसका अंदाजा लगाया जाता है।


    2 ) टेक्निकल एनालिसिस में "टेक्निकल इंडीकेटर्स" का इस्तेमाल किया जाता है।

    सेंसेटिविटी एनालिसिस में "इकोनॉमिक वेरिएबल्स" का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी जानकारी ऊपर दी है। 


    सेंसेटिविटी एनालिसिस के बारे में हमने यह जाना। 

    सेंसेटिविटी एनालिसिस यह मूल्यांकन करता है कि, प्रमुख वेरिएबल्स में परिवर्तन किसी कंपनी के परफॉर्मन्स और स्टॉक प्राइस को कैसे प्रभावित करते हैं। 

            इंटरेस्ट रेट्स और कमोडिटी की कीमतों जैसे कारकों को समायोजित करके, यह एनालिसिस इन्वेस्टमेंट निर्णयों में संभावित रिस्क और रिवॉर्ड को दर्शाता है। 

    और हमने जाना कि, यह हम निवेशकों को वित्तीय अनुमानों की स्थिरता का आकलन करने और अलग-अलग परिस्थितियों में कंपनी की लचीलापन का आकलन करने में मदद करता है। 


    Post a Comment

    0 Comments