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स्टॉक मार्केट में, कंपनी का Stock Split क्या होता हैं ? और Bonus Issue क्या होता हैं ?

अगर आपके पास निवेश के लिए Rs. 10,000 हैं तो आप 'X कंपनी' का शेयर जिसकी कीमत Rs. 1000 है, उसके 10 शेयर्स खरीदने के बजाय 'Y कंपनी' का शेयर जिसकी कीमत Rs. 100 है, उसके 100 शेयर्स खरीदना पसंद करेंगे। है ना ? 

            इसी बात को ध्यान में लेते हुए कंपनी अपने शेयर के टुकड़े करती है। इसे स्टॉक स्प्लिट कहा जाता है। और बोनस शेयर वह होते हैं जो कि, निवेशकों को याने कि "मालिकों को" कुछ एक्स्ट्रा देने के अच्छी नियत से जारी किए जाते हैं। 

            दोस्तों, आज हम यहां पर मिलकर, स्टॉक मार्केट में कंपनी का Stock Split क्या होता हैं ? और Bonus Issue क्या होता हैं ? इन्हे अच्छे से समझने की कोशिश करेंगे। ताकि जब भी कभी कोई कंपनी, स्टॉक मार्केट में स्टॉक स्प्लिट या बोनस शेयर का प्रस्ताव लेकर आती है तब हम भी उससे लाभ कमा सकें। 

Stock Market Company Stock Split and Bonus Issue in Hindi.
Company Stock Split and Bonus Issue.


अनुपात ( रेश्यो ) का बेसिक अंकगणित

स्टॉक स्प्लिट एक निर्दिष्ट अनुपात में होता है। उदाहरण के लिए, यदि अनुपात 1:2 है, तो इसका मतलब है कि प्रत्येक एक शेयर के लिए शेयरधारक को क्रमशः 2 शेयर मिलेंगे। याने की टोटल संख्या 1 से 2 हो जाएगी। यदि आपके पास उस कंपनी के 100 शेयर हैं, तो आपके टोटल शेयर्स 200 हो जाएंगे।

बोनस इश्यू में यदि अनुपात 1:2 है, तो इसका मतलब है कि, आपके डीमैट खाते में रखे गए प्रत्येक 2 शेयर के लिए (रिकॉर्ड तिथि के अनुसार), शेयरधारक को 1 बोनस शेयर ( अतिरिक्त ) प्राप्त होगा। याने कि, यदि आपके पास उस कंपनी के 100 शेयर हैं, तो आपको 50 बोनस शेयर मिलेंगे। इससे आपके टोटल शेयर्स 150 हो जाएंगे।

            यदि हम किसी कंपनी में निवेश करके बोनस और स्टॉक स्प्लिट का फायदा उठाना चाहते है तो, कंपनी के मैनेजमेंट को ट्रैक कैसे करें ? यह जानना आवश्यक होता है। 


    स्टॉक मार्केट में कंपनी का Stock Split क्या होता हैं ?

    Meaning and Ratios of Stock Split in the Stock Market.
    Company's Stock Split in Hindi.


    स्टॉक स्प्लिट की डेफिनेशन्स

    1 ) स्टॉक स्प्लिट यह एक कारपोरेट एक्शन होती है। इसमें कंपनी, सेबी के रूल्स के अनुसार अपने शेयर को विभाजित करती है। 

    2 ) जब कंपनी अपने शेयर के फेस वैल्यू को टुकड़ों में बांट देती है ताकि शेयर की कीमत कम हो। उसे स्टॉक स्प्लिट कहा जाता है।


    उदाहरण 

    'X कंपनी' के शेयर की कीमत Rs. 1000 है। 

    'X कंपनी' के शेयर की फेस वैल्यू Rs. 10 है। 

    कंपनी 1:5 रेश्यो पर स्टॉक स्प्लिट करती है। 

    ऐसे में,

    'X कंपनी' के शेयर की कीमत Rs. 200 हो जाती है। 

    'X कंपनी' के शेयर की फेस वैल्यू Rs. 2 हो जाती है। 


    सवाल - Stock Split का निवेश पर क्या असर होता हैं ?

    जवाब - Stock Split का निवेश पर कोई असर नहीं होता हैं। 


    मान लो कि, हमारे पास 'X कंपनी' के 10 शेयर्स है। प्रत्येक शेयर की कीमत Rs. 1000 है। हमारा कुल निवेश Rs. 10,000 है। 

    स्टॉक स्प्लिट के बाद -

    हमारे पास 'X कंपनी' के 50 शेयर्स है। प्रत्येक शेयर की कीमत Rs. 200 है। हमारा कुल निवेश Rs. 10,000 है। 


    Stock Split की जरूरत


    छोटे निवेशकों को ललचाने के लिए

    छोटे निवेशक अपने साथ अपने हार्ड अर्न मनी में से कुछ पैसा लेकर स्टॉक मार्केट में आते हैं। वह अपने मनसे अपना खुद का पोर्टफोलियो बनाने की इच्छा रखते हैं। 

                शुरू में वह थोड़ी क्वांटिटी लेकर देखना पसंद करते हैं की वह पर्टिकुलर शेयर किस तरह से परफॉर्म कर रहा है ? शेयर का परफॉर्मेंस अच्छा हो रहा हो तो छोटे निवेशक उसमें एवरेज करके और ज्यादा क्वांटिटी बढ़ाना पसंद करते हैं। 

                छोटे निवेशक शुरू में ही ज्यादा कीमत वाले शेयर को ना-पसंद करते हैं। क्योंकि उनमें वह ना तो एवरेज कर सकते हैं और ना ही लिए हुए शेयर्स में से कुछ क्वांटिटी बेचने का फैसला कर सकते हैं। 

                शेयर की कीमत कम हो तो छोटे निवेशक आसानी से उसकी तरफ खींचे चले आते हैं। इसलिए ज्यादातर बार कंपनीज अपने बढ़े हुए शेयर की कीमत को कम करने के लिए स्टॉक स्प्लिट करती है। 

                इससे शेयर की कीमत कम हो जाती है और निवेशक उस कंपनी के शेयर को अच्छे निवेश के तौर पर देखना शुरू करते हैं। हमें इस बात को भी ध्यान में रखते हुए चलना है कि, फंडामेंटल एनालिसिस ऑफ शेयर्स होशियार इन्वेस्टर की पहचान होती है। 


    ट्रेडिंग एक्टिविटी बढ़ाने के लिए

    छोटे निवेशकों की ही तरह छोटे ट्रेडर्स यानी कि, रिटेल ट्रेडर्स कम कीमत वाले शेयर्स में ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं। क्योंकि अगर ट्रेंड बढ़िया फॉलो हो रहा हो तो कुछ क्वांटिटी बढ़ाना मुमकिन होता है और अगर रिस्क बढ़ रही हो तो आधी क्वांटिटी बेचकर रिस्क को कम किया जा सकता है। 

                शेयर की कीमत ज्यादा हो तो ना ज्यादा क्वांटिटी में ट्रेड कर सकते हैं ना बीच-बीच में क्वांटिटी में बदलाव कर सकते हैं। शेयर की कीमत कम हो तो ज्यादा क्वांटिटी में ट्रेड किया जा सकता है और रिटेल ट्रेडर्स को यह ज्यादा कन्वेनिएंट लगता है। 

                इसलिए कंपनी अपने शेयर में ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ाने के लिए स्टॉक स्प्लिट करती है। 


    लिक्विडिटी के लिए

    स्टॉक मार्केट में कंपनी के शेयर्स के कारोबार में पर्याप्त लिक्विडिटी हो तो यह कंपनी के गुडविल के लिए बहुत ही अच्छा होता है। पर्याप्त लिक्विडिटी का होना ट्रस्ट फैक्टर को बढ़ाता है। 

                इस वजह से हर एक कंपनी चाहती है कि, उसके शेयर में लिक्विडिटी बरकरार रहे। शेयर की कीमत काफी ज्यादा बढ़ने से ट्रेडर्स और निवेशक उसमें कारोबार करना टाल देते हैं। इस वजह से लिक्विडिटी की मात्रा में कमी आ आती है। 

                इसलिए लिक्विडिटी की मात्रा बढ़ाने के लिए कंपनी स्टॉक स्प्लिट करती है। 


    Stock Split के प्रकार

    स्टॉक स्प्लिट दो प्रकार के होते हैं। 

    1 ) फॉरवर्ड स्टॉक स्प्लिट

    फॉरवर्ड स्टॉक स्प्लिट में कंपनी एक शेयर को एक से ज्यादा शेयर्स में रूपांतरीत करती है। 

    2 ) रिवर्स स्टॉक स्प्लिट

    रिवर्स स्टॉक स्प्लिट में कंपनी दो या दो से ज्यादा शेयर्स को मिलाकर एक शेयर बनाती है। 


    Stock Split ना करने वाली कंपनी (अपवाद)

    M.R.F.  Ltd

    MRF Ltd. Company 1 Month Chart.
    MRF Ltd. Company 1 Month Chart.


    इस इमेज में M.R.F. Ltd. कंपनी का 1 Month टाइम फ्रेम का चार्ट दिखाया है। 

                मैंने 2013 में अपनी स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग की जर्नी शुरू की। तब एमआरएफ कंपनी के शेयर की कीमत Rs. 12000 के आसपास चल रही थी। 

                शुरुआत में मैं एक छोटे निवेशक के तौर पर स्टॉक मार्केट की बारीकियां सीख रहा था। उन दिनों एमआरएफ कंपनी का 1 शेयर Rs. 12000 में मिल रहा था तो जाहिर-सी बात है कि, ज्यादा कीमत होने के कारण तब मैंने उसमें निवेश नहीं किया। 

                मेरे स्टडी के अनुसार यह स्टॉक मार्केट की एकलौती कंपनी है जिसने कई सालों से अपने शेयर को स्प्लिट नहीं किया है। एमआरएफ कंपनी के शेयर की 52 वीक हाई प्राइस ( As On 07-11-2022 ) Rs. 96,000 है। यह शेयर इंडियन स्टॉक मार्केट की शान है। 


    स्टॉक मार्केट में कंपनी का Bonus Issue क्या होता हैं ?

    Meaning of Bonus Issue in the Stock Market.
    Company's Bonus Issue in Hindi.


    अब हम यहां पर बोनस इश्यू के बारे में जानकारी लेते हैं। 

    बोनस इश्यू डेफिनेशन्स

    1 ) स्टॉक मार्केट में पोर्टफोलियो में रखे हुए शेयर्स की संख्या के अनुपात में कंपनी शेयरधारकों अतिरिक्त शेयर जारी करती है। इसे बोनस शेयर्स कहते हैं। बोनस इश्यू में शेयर की फेस वैल्यू विभाजित नहीं होती है। 

    2 ) कंपनी अपने मुनाफे की भंडार से पैसे निकालकर अतिरिक्त शेयर कैपिटल बनाती है। वह शेयर्स अपने एक्जिस्टिंग शेयर-होल्डर्स को, उन्होंने होल्ड किए हुए शेयर्स के अनुपात में मुफ्त में बांट देती है। इस तरह से बांटे गए अतिरिक्त शेयर्स को बोनस शेयर्स कहते हैं। 


    उदाहरण

    'A कंपनी' ने 1:2 रेशों पर आधारित बोनस इश्यू जारी किया। हमारे पोर्टफोलियो में उस कंपनी के 100 शेयर हैं। ऐसे में हमारे प्रत्येक 2 शेयर के लिए एक अतिरिक्त शेयर प्राप्त होगा यानी कि, हमें टोटल 50 शेयर्स अतिरिक्त प्राप्त होंगे। और हमारे पोर्टफोलियो में कुल शेयर्स की संख्या 150 हो जाएगी। 

    बोनस शेयर्स के अनुपात में शेयर की कीमत भी एडजस्ट होती है।

    उदाहरण

    'A कंपनी' के 1 शेयर की कीमत Rs. 300 है। कंपनी 1:2 के रेशों पर बोनस इश्यू लाती है तो शेयर अलॉट होने के बाद प्रति शेयर की कीमत Rs. 100 इतनी हो जाएगी। 


    सवाल - Bonus Shares का निवेश पर क्या असर होता हैं ?

    जवाब - जब कोई कंपनी बोनस इश्यू लेकर आती है तो यह ओवर-ऑल एक पॉजिटिव सेंटीमेंट वाली न्यूज़ मानी जाती है। बोनस इश्यू से कंपनी का एबिटा तो नहीं बढ़ने वाला है। है ना ? लेकिन इससे कंपनी का गुडविल जरूर बढ़ जाता है। 

                अगर हम बात करें एक निवेशक के नजरिए से तो हमें यह बात ध्यान में लेनी चाहिए कि, "कम अवधि में बोनस इश्यू से हमारे निवेश पर कोई असर नहीं होता है।" 

                सेंटीमेंट अच्छा बनाने के साथ ही स्टॉक मार्केट का ट्रेंड पॉजिटिव हो तो शेयर के भाव बढ़ते हुए दिखाई देते हैं। बस इतना ही और कोई खास फर्क या लाभ एक साल से कम अवधि के निवेशक को नहीं होता है। 


    बोनस शेयर्स इश्यू के बारे में रोचक तथ्य

    दोस्तों, इस पर गौर करें कि, बोनस मिले हुए शेयर्स 1 साल के भीतर हम सेल कर देते हैं तो हमें उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है। 

                तो अब लेते हैं एक मजेदार सवाल और उसका उससे भी ज्यादा मजेदार जवाब!

    सवाल - बोनस इश्यू डिक्लेअर किए गए शेयर को कब बेचना चाहिए ?

    जवाब - बोनस इश्यू डिक्लेअर किए गए शेयर को बोनस अलॉट होने से पहले ही बेच देना चाहिए।

                यह बात हुई शॉर्ट टर्म निवेशकों के लिए या फिर ट्रेडर्स के लिए। और एक बात अगर हम इसी शेयर को 10 साल या 20 साल इस तरह की लंबी अवधि के लिए होल्ड करना चाहते हैं तो यह (बोनस) अच्छी बात होती है। क्योंकि इससे कंपाउंडिंग ग्रोथ का लाभ मिलता है। 

    विशेष जानकारी

    स्टॉक मार्केट बिहेवियर इन हिंदी।

    रिजर्व बैंक की पॉलिसी को कैसे पढ़ें ?


    Bonus Issue इश्यू की जरूरत

    कंपनी जिन-जिन जरूरतों के कारण स्टॉक स्प्लिट करती है उन्ही जरूरतों को पूरा करने के लिए बोनस शेयर इश्यू किए जाते हैं। जैसे की, छोटे निवेशकों को आकर्षित करने के लिए, ट्रेडिंग एक्टिविटी बढ़ाने के लिए और लिक्वीडिटी बरक़रार रखने के लिए। इसके बारें में हमने ऊपर पढ़ा है।

                कंपनी कारोबार करके मुनाफा कमाती है। संचित मुनाफा बैलेंस शीट के असेट साइड में रिजर्व एंड सरप्लस में दिखाया जाता है। उन पैसों से कंपनी शेयरधारकों को डिविडेंड जारी करती है। 

                बार-बार डिविडेंड जारी करने के बजाय, उन्ही पैसों से कंपनी बोनस इश्यू जारी करके इक्विटी बढ़ाती है। इससे असेट की अधिकता कम होकर लायबिलिटीज के समान होती हैं। 

                "बोनस जारी करके कंपनी, डिविडेंड बाँटने पर जो टैक्स लगता है उससे बचते हुए अपने मालिकों को (शेयर-होल्डर्स को) लाभ पहुंचाती है।" 


    Bonus Issue की प्रोसेस

    बोनस इश्यू की प्रोसेस को हम यहां पर समझ लेते हैं। 

    1 ) कंपनी के एसोसिएशन के नियमावली के अनुसार कंपनी के बोनस इश्यू को मंजूरी दी जाती है। 

    2 ) यदि कंपनी के एसोसिएशन ऐसा करने में असमर्थ हो तो कंपनी के जनरल मीटिंग में बोनस इश्यू का प्रस्ताव मंजूरी के लिए रखा जाता है। 

    3 ) जनरल मीटिंग में कंपनी के शेयरधारकों के द्वारा बोनस इश्यू को मंजूरी प्राप्त होना आवश्यक होता है। 

    4 ) स्टॉक मार्केट रेगुलेटर सेबी के द्वारा जारी किए गए गाईड-लाइन का पालन करना आवश्यक होता है। 

    5 ) कंपनी को इस बात पर ध्यान देना आवश्यक होता है कि, जो बोनस इश्यू कंपनी ला रही है वह कंपनी के टोटल कैपिटल से ज्यादा का ना हो। 

    6 ) कंपनी ने लोन लिया हो तो उन लेंडर्स को बोनस इश्यू के बारे में पहले ही बता देना आवश्यक होता है। 

    7 ) बोनस इश्यू लाने से पहले रिजर्व बैंक की अनुमति लेना आवश्यक होता है। 

    8 ) बोनस इश्यू जारी करने के 15 दिनों के भीतर बोनस शेयर्स, शेयर-होल्डर्स के खाते में जमा करने होते है। 

    9 ) हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि, कंपनी बोनस इश्यू को पूरी तरह से भुगतान करें। यदि कंपनी आंशिक रूप से भुगतान करती है तो शेयर-होल्डर्स खुद बाकी के भुगतान के लिए जिम्मेदार होते हैं। 


    Bonus Shares की डेट्स

    1 ) कंपनी बोनस इश्यू के लिए रिकॉर्ड डेट जारी करती है। इस तारीख पर जिनके पास "डिमैट अकाउंट में" शेयर्स होते हैं उन्हें बोनस शेयर्स जारी किए जाते हैं। 

    2 ) इंडियन स्टॉक मार्केट में, टी + 2 रोलिंग सिस्टम का अनुसरण किया जाता है। इसलिए शेयरधारकों को रिकॉर्ड डेट से 2 दिन पहले शेयर्स खरीदना आवश्यक होता है। क्योंकि शेयर्स खरीदने के दो दिन बाद डिमैट अकाउंट में आते हैं। ठीक है ?

    3 ) जो खरीददार रिकॉर्ड डेट पर ही शेयर्स खरीदते हैं उन्हें बोनस शेयर्स जारी नहीं किए जाते हैं। 

    अधिक जानकारी

    स्टॉक मार्केट में सेंसेटिविटी एनालिसिस कैसे करे ?


    हमने Stock Split और Bonus Issue के बारे में यह जाना

    दोस्तों, आज हमने यहां पर मिलकर जाना कि, स्टॉक स्प्लिट क्या होता है ? स्टॉक स्प्लिट क्यों किया जाता है ? स्टॉक स्प्लिट होने से निवेशक के निवेश पर क्या असर होता है ? 

                इसके साथ ही हमने बोनस इश्यू के बारे में जानकारी ली। इसमें हमने बोनस इश्यू क्या होता है ? बोनस इश्यू कैसे जारी किया जाता है ? बोनस इश्यू से निवेशक के निवेश पर क्या असर होता है ? यह जाना। 

                स्टॉक स्प्लिट और बोनस इश्यू यह कॉरपोरेट एक्शंस होती है। इनके बारे में अक्सर न्यूज़ आती रहती है। स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग और इंवेस्टमेंट करते समय हमें इनके बारे में जानकारी लेकर कामकाज करना चाहिए। 


    Stock Split और Bonus Issue के FAQ's

    1 ) स्टॉक स्प्लिट के शेयर्स के लिए कौन पात्र होते है ?

    जो शेयर-होल्डर्स स्टॉक स्प्लिट के रिकॉर्ड तारीख से दो दिन पहले शेयर्स खरीद लेते हैं, वह स्टॉक स्प्लिट के लिए पात्र होते हैं।

    2 ) बोनस शेयर्स के लिए कौन पात्र होते है ?

    जो शेयर-होल्डर्स बोनस इश्यू के रिकॉर्ड तारीख से दो दिन पहले शेयर्स खरीद लेते हैं, वह बोनस शेयर्स के लिए पात्र होते हैं।

    3 ) Stock Split और Bonus में क्या फर्क होता है ?

    स्टॉक स्प्लिट में और बोनस में यह फर्क है कि, स्टॉक्स स्प्लिट में शेयर्स विभाजित किए जाते हैं और बोनस इश्यू में एक्स्ट्रा शेयर्स अलॉट किए जाते हैं।

    4 ) Stock Split और Bonus में क्या समानता है ?

    स्टॉक स्प्लिट और बोनस इश्यू इन दोनों के बाद शेयर की कीमत काफी कम हो जाती है।

    5 ) स्टॉक स्प्लिट और बोनस इश्यू किसके लिए फायदेमंद होते है ?

    स्टॉक स्प्लिट और बोनस इश्यू लम्बी अवधी के निवेशकों के लिए फायदेमंद होते है।



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