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इंट्राडे में सफल होना है तो शॉर्ट सेलिंग आनी ही चाहिए। Stock Market Short Selling.

क्या आप इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं ? क्या आप इंट्राडे ट्रेडिंग में सफल होने पर यकीन करते हैं ? क्या आप इंट्राडे में लॉन्ग साइड के ट्रेड कर कर के परेशान हैं ? तब तो आपने यह महसूस किया ही होगा कि, "इंट्राडे में सफल होना है तो शॉर्ट सेलिंग आनी ही चाहिए।" 

            दोस्तों, आज हम यहां पर मिलकर, स्टॉक मार्केट शॉर्ट सेलिंग के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानेंगे। शॉर्ट सेलिंग से इंट्राडे में एडेप्टेबिलिटी कैसे ला सकते हैं ? इसके बारे में जानकारी लेंगे। इंट्राडे ट्रेडिंग में शॉर्ट सेलिंग कैसे शुरू करें ? शॉर्ट सेलिंग की प्रैक्टिस कैसे करें ? यह समझेंगे। 

            शॉर्ट सेलिंग करने के लिए स्ट्रेटेजी और स्ट्रेटेजी पर भरोसा कैसे बनाए रखें ? यह समझ कर शॉर्ट सेलिंग करने के लिए उपयुक्त नए घटक के बारे में भी जानकारी लेंगे। तो आइए शुरू करते हैं। 

Stock Market Short selling trading tips and tricks.
Stock Market Short selling in Hindi.


स्टॉक मार्केट में एंड ऑफ द डे हमारा गोल होता है कि, हम कमाए खुद के लिए पैसा। चाहे स्टॉक मार्केट बढ़े या गिरे। इससे एक ट्रेडर को कोई मतलब नहीं होना चाहिए। है ना ? जब स्टॉक मार्केट गिरता है और हम इंट्राडे में प्रॉफिट कमा कर निकलते हैं तब खुशी का जो एहसास होता है उसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते।

     

    इंट्राडे शॉर्ट सेलिंग

    पहले बेचो फिर खरीदो। 

    शॉर्ट सेलिंग याने कि, स्टॉक मार्केट में शेयर्स ज्यादा भाव पर बेचकर कम भाव में वापस खरीदना। 

    स्टॉक मार्केट में नार्मल ट्रेडिंग में हम शेयर खरीदते हैं और यह उम्मीद करते हैं कि इनके भाव बढ़ जाए। उनके भाव बढ़ने पर शेयर बेचकर हम मुनाफा कमाते हैं। आमतौर पर हम ऐसे ही ट्रेडिंग करते हैं। यह स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने का सीधा तरीका है। इस वजह से ज्यादातर बार हम आदतन इसे करते जाते हैं और यह हमें आसान लगने लगता है। 

                स्टॉक मार्केट में शॉर्ट सेलिंग करना यह एक खास प्रकार की ट्रेडिंग होती है। इसमें ट्रेडिंग पोज़िशन बनाने के लिए स्टॉक मार्केट का अच्छा खासा अनुभव होना आवश्यक होता है। इसमें हमारे पास शेयर्स ना होते हुए भी बेचे जाते हैं और फिर उनके भाव गिरने पर उन्हें वापिस खरीदा जाता है। 

                स्टॉक मार्केट में ज्यादातर ट्रेडर्स इस तरह से ट्रेडिंग करना टालते हैं। क्योंकि हमें खरीद कर बेचने के तरीके की आदत होती है। और हम इसी तरह से काम करना पसंद करते हैं। 


    शॉर्ट सेलिंग के रोचक तथ्य


    शॉर्ट सेलिंग करना बायिंग से बेहतर है ?

    Stock Market Short Selling is better than Buying.
    Image 1 Short Selling is better than Buying ?


    इमेज 1 में हमने देखा कि, माउंटेन साइकिलिंग में अगर नीचे से ऊपर की तरफ चढ़ते हुए जाना हो तो बहुत ही ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। लेकिन ऊपर से नीचे की तरफ साइकिलिंग करते वक्त बहुत तेज गति से नीचे आया जा सकता है। 

                यकीन मानिए, शॉर्ट सेलिंग करना यह खरीद कर बेचने से बेहतर तरीका है। क्योंकि स्टॉक मार्केट में जिस गति से बढ़त होती है उससे ज्यादा गति से गिरावट होती है। 

    खरीद कर बेचना कंपलसरी नहीं होता है।

    खरीद कर बेचने के ट्रेड में हम पोजीशन को डिलीवरी में कन्वर्ट कर सकते हैं। याने की हमारे पास दूसरा रास्ता होता है। 

    बेचकर खरीदना कंपलसरी होता है।

    शॉर्ट सेलिंग के ट्रेड में एंटर करते हैं तो हमें उसी दिन उस ट्रेड को क्लोज करना कंपलसरी होता है।  

    कोई और चारा नहीं है। 

    आपको तो पता ही है कि, कंपलसरी हो तो हम ज्यादा सजग हो जाते हैं। मुनाफा होने के चांसेस हो तो ही हम शॉर्ट सेलिंग का ट्रेड लेते हैं।

    1 ) शॉर्ट सेलिंग में प्रॉफिट हो या लॉस हो उसे स्वीकार करना ही होता है। इसलिए हम अपने ट्रेड्स के बारे में गंभीरता से निर्णय लेते हैं। 

    2 ) इससे ओवरट्रेडिंग से भी बचा जाता है। 

    3 ) रिस्क रीवार्ड रेशों का ध्यान रखते हुए स्ट्रेटेजी बैक टेस्टिंग करके ही ट्रेडिंग की जाती है। 

                इससे हमारी ट्रेडिंग करने की आदत, और स्ट्रेटेजी में सुधार होते जाता है और हमारा ओवर ऑल ट्रेडिंग परफॉर्मेंस बेहतर होने लगता है। 


    इंट्राडे अनुकूलन शीलता

    दोस्तों, हमें अपने काम के माहौल के साथ घुल-मिल जाना चाहिए। उस काम के माहौल से परे रहकर हम उस काम में सफल होने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। स्टॉक मार्केट जब बढ़त दिखाता है तो वह ग्रीन कलर में होता है और जब गिरावट दिखाता है तो रेड कलर में होता है। 

                स्टॉक मार्केट जब बढ़त की दिशा में काम काज कर रहा होता है तब हम इंट्राडे में शेयर खरीदकर बेचते हैं। हम ग्रीन कलर के कैंडल्स के साथ उत्साह के साथ कामकाज करते हैं। ऐसा हम बढ़त के माहौल में घुल-मिलकर ही करते हैं। 

                जब स्टॉक मार्केट गिर रहा होता है तब हमें गिरावट के दिशा में बेचकर खरीदने के ट्रेड लेने होते हैं। इसलिए हमें शॉर्ट सेलिंग के माहौल में घुल-मिलना चाहिए। ताकि हम रेड कलर की कैंडल्स के साथ भी उत्साह के साथ कामकाज करें। 

    Stock Market Adaptability example of Chameleon.
    Image 2 Stock Market Adaptability example of Chameleon.


    इमेज 2 में हम देख रहे हैं कि, शामिलिओन हरा रंग भी धारण कर सकता है और लाल रंग भी धारण कर सकता है। जब वह अपने आप को हरियाली में पाता है तब वहां ग्रीन कलर का बनता है और जब वह लाल रंग की चीजों के नजदीक जाता है तब वह लाल रंग धारण करता है। 

                ठीक इसी प्रकार स्टॉक मार्केट जब ग्रीन कलर में हो तो बाइंग-सेलिंग के ट्रेड लेने चाहिए और जब स्टॉक मार्केट रेड कलर में होता है तो हमें शॉर्ट सेलिंग के ट्रेड लेने चाहिए। 

                शामिलिओन के उदाहरण से हमें यह सीख मिलती है कि, अपने कार्य क्षेत्र में सिचुएशन के अनुसार समरसता धारण करके हम उसी में से एक घटक बन जाते हैं। हम अलग नहीं दिखते हैं। इस वजह से हमारा संरक्षण होता है। स्टॉक मार्केट के संदर्भ में कहा जाए तो ऐसा करने से हमारा स्टॉपलॉस हिट होने से ज्यादा संभावना यह होती है कि हमें मुनाफा मिले। 


    इंट्राडे शॉर्ट सेलिंग कैसे शुरू करें ?

    स्टॉक मार्केट में ट्रेडर के रूप में एक्टिवेट होते ही शॉर्ट सेलिंग कोई भी नहीं करता है। आमतौर पर स्टॉक मार्केट में आकर तकरीबन 6 महीने से साल भर का समय बीत जाने के बाद हम शॉर्ट सेलिंग के बारे में सोचना शुरू करते हैं। और तब तक हमें इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में पर्याप्त नॉलेज हासिल होता है। 

    टेक्निकल और फंडामेंटल का मिलाप

    इस पर गौर करें कि, खरीद कर बेचने के ट्रेडिंग में हम ज्यादातर टेक्निकल एनालिसिस पर ही निर्भर करते हैं। शॉर्ट सेलिंग करने के लिए टेक्निकल के साथ ही फंडामेंटल एनालिसिस करना आवश्यक होता है। फंडामेंटली कमजोर शेयर में बिकवाली के ट्रेड करके हम प्रॉफिट कमा सकते हैं। 

                इसमें हम चार्ट पर सपोर्ट, रेजिस्टेंस और ट्रेंड लाइन्स का सेटअप करते हैं। इंडिकेटर्स का इस्तेमाल करते हैं और जब शेयर की कीमत गिरना शुरू होती हैं तो हम सेलिंग का ट्रेड लेते हैं, रेजिस्टेंस के ऊपर स्टॉप लॉस लगाते हैं और सपोर्ट पर टार्गेट लगाते हैं। 

    अपनी स्ट्रेटेजी और स्ट्रेटेजी पर भरोसा

    स्टॉक मार्केट में सिर्फ ट्रेडिंग करना काफी नहीं होता है। उसके पीछे स्ट्रैटेजी भी आवश्यक होती है। स्ट्रेटेजी में क्या करना है कैसे करना है कब करना है कितना करना है ऐसे सारे सवालों के जवाब तय किए जाते हैं। यह हमारे ट्रेडिंग कैरियर का प्रमुख आधार होती है। 

                शॉर्ट सेलिंग स्ट्रेटेजी में हमें आज के ट्रेडिंग सेशन में जो शेयर्स गिर सकते हैं उनकी एक वॉच लिस्ट बनानी होती है। और उनमें से जिस शेयर में रिसेंटली गिरावट का मूवमेंट शुरू होता हैं उसमें बिकवाली का ट्रेड लेना चाहिए। 

                स्ट्रेटेजी बनाकर उसे पेपर ट्रेडिंग के जरिए प्रैक्टिस करनी चाहिए। और जो गलतियां हो रही है उन्हें नोट करके सुधार लेना चाहिए। स्ट्रेटेजी बैक टेस्टिंग करते हुए अधिक प्रभावी बनानी चाहिए। 


    शॉर्ट सेलिंग प्रैक्टिस के लिए चर्निंग

    पेपर ट्रेडिंग और बैक टेस्टिंग करके प्रॉफिटेबल स्ट्रेटेजी बनाने के बाद उसका इस्तेमाल करना अच्छा होता है। शॉर्ट सेलिंग की शुरुआत हम चर्निंग के जरिए कर सकते हैं। 

    "बढ़ते हुए स्टॉक मार्केट में शेयर खरीद कर अपने पोर्टफोलियो में रखे जाते हैं। ऐसे शेयर की पोजीशन प्रॉफिट में आकर हमारा निवेश सुरक्षित हो जाता है। इंट्राडे में इसी पर्टिकुलर शेयर में हम सेलिंग-बायिंग कर सकते हैं। इसे चर्निंग कहते हैं।" 

    अधिक जानकारी के लिए Banking Stocks Churning पढ़ सकते है। 

    विशेष बात

    चर्निंग में किए गए शॉर्ट सेलिंग ट्रेडिंग में लॉस हो रहा हो तो ट्रेड क्लोज करने की आवश्यकता नहीं होती है। बस हमें अपनी इंट्राडे सेलिंग की पोजीशन को डिलीवरी में कन्वर्ट करना होता है। इससे हमारे पोर्टफोलियो में से उतने शेयर की क्वांटिटी कम हो जाती है। यह शॉर्ट सेलिंग के ट्रेड की प्रैक्टिस करने का आसान और सुरक्षित तरीका है। 


    सिक्योरिटीज लेंडिंग एंड बौरोइंग

    इस सुविधा के अंतर्गत हम 1 दिन से ज्यादा वक्त के लिए शेयर्स में शार्ट सेलिंग की पोजीशन ले सकते हैं। इन्वेस्टर्स कई सालों तक शेयर अपने पोर्टफोलियो में रखते हैं। अगर उन्हें अगले साल भर तक अपने शेयर नहीं बेचने हैं तो वह शेयर्स लैंडिंग यानी के भाड़े पर देते हैं। 

                अगर हमें कुछ महीनों के लिए शेयर्स में शॉर्ट सेलिंग की पोजीशन बनानी हो तो हम शेयर्स भाड़े पर लेकर बेच सकते हैं। इस प्रकार के ट्रेडिंग के लिए स्टॉक मार्केट का चार-पांच सालों का अनुभव होना आवश्यक होता है। यह तरीका लोकप्रिय नहीं है। इसलिए इस तरह से बहुत कम ट्रेडिंग की जाती है। 


    शॉर्ट सेलिंग करने के लिए उपयुक्त नया घटक

    इसमें हमें शेयर्स पहले बेचने होते हैं और गिरावट होने के बाद कम भाव पर वापस खरीदने होते हैं। लेकिन दोस्तों इसमें यह रिस्क होती है कि, स्टॉक मार्केट में अचानक तेजी होने से हमारा नुकसान हो सकता है। 

                इस तरह से होने वाले नुकसान की संभावना कम कर सके तो अवश्य करना चाहिए। हमें अपने ट्रेड्स लेने से पहले उनको क्रॉस चेकिंग जरूर करना चाहिए। 

                हम बैंक निफ़्टी के चार्ट पर आज की संभावना इंडिकेटर का इस्तेमाल करके ट्रेडिंग के अवसर दर्शाते हैं। हमारा विश्वास है कि, इससे बैंक निफ्टी में गिरावट कब कैसे और कितनी हो सकती है इसका अंदाजा लगा सकते हैं। यहाँ से सेकंड ओपिनियन लेकर बैंकिंग स्टॉक्स में शॉर्ट सेलिंग कर सकते हैं। इसके साथ ही हम बैंक निफ़्टी के पुट ऑप्शन में ट्रेडिंग करके पैसे कमा सकते हैं। 


    हमने यह जाना

    स्टॉक मार्केट इंट्राडे ट्रेडिंग के दो पहलू होते हैं। इनमें से एक होता है खरीद कर बेचना और दूसरा होता है बेचकर खरीदना। आज हमने यहाँ पर मिलकर स्टॉक मार्केट इंट्राडे ट्रेडिंग के दूसरे पहलू याने कि, बेचकर खरीदने के बारे में जानकारी ली। 

                इस जानकारी में हमने शॉर्ट सेलिंग करना बायिंग के ट्रेड से बेहतर कैसे होता है यह जाना। इसके साथ ही स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करियर करने के लिए अनुकूल शीलता और स्टडी कैसे करना है ? शुरुआत कैसे करनी है ? इसके बारे में विस्तार से जानकारी ली। 

                इसके साथ ही हमने शॉर्ट सेलिंग की ट्रेडिंग आईडियाज को दुबार पड़ताल यानी के क्रॉसिंग करने के उपयुक्त घटक के बारे में भी जानकारी ली। हमारा विश्वास है कि, इस जानकारी की मदद से हम स्टॉक मार्केट इंट्राडे ट्रेडिंग में सफल होने के लिए शॉर्ट सेलिंग कर सकते हैं। 


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