दोस्तों, बैंक निफ़्टी कॉल और पुट ऑप्शन में ट्रेडिंग करते वक्त हम, निफ़्टी बैंक के चार्ट को फॉलो करते हैं। यह सही भी हैं। अब हम यहां पर मिलकर यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि, Bank Nifty Futures को कैसे समझे ? प्रीमियम और डिस्काउंट ऑफ़ बैंक निफ़्टी फ्युचर्स को कैसे समझे ? इसमें बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स क्या हैं ? बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स के प्रकार कौन-से है ? बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स प्रीमियम क्या हैं ? बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स डिस्काउंट क्या हैं ? तो आइए शुरू करते हैं।
Bank Nifty Futures In Hindi. |
निफ़्टी बैंक इंडेक्स और बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स के चार्ट्स बिल्कुल सेम मूवमेंट दिखाते हैं और अगर इनकी प्राइसेस को देखा जाए तो हमें यह पता लगता हैं कि, निफ़्टी बैंक की तुलना में इसके फ्यूचर्स की प्राइस थोड़ी ज्यादा (प्रीमियम) या थोड़ी कम (डिस्काउंट) होती है।
फ्यूचर्स और ऑप्शंस
फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस यह स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्स होते हैं। फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस की वैल्यू उनके अंडरलेइंग ऐसेट के वैल्यू पर डिपेंड करती है। फ्यूचर्स और ऑप्शंस के जरिए नजदीकी भविष्य में शेयर्स की या इंडेक्स की खरीददारी और बिक्री करने के वायदा कॉन्ट्रैक्ट्स किए जाते हैं। बैंक निफ़्टी ऑप्शंस में ट्रेडिंग करने के लिए Bank Nifty Do's and Don'ts को समज़ना जरुरी होता है। अब यहाँ पर हम बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स के बारे में विस्तार से जानकारी लेंगे।
Bank Nifty Futures क्या होता हैं ?
"बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स यह एक डेरिवेटिव हैं जोकि निफ्टी बैंक के प्राइस के आधार पर बनाया गया है।"
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स यह बायर और सेलर के बिच का एक कॉन्ट्रैक्ट होता है। इसमें तय कीमत पर भविष्य में इंडेक्स की खरीददारी और बिक्री करने का कॉन्ट्रैक्ट होता है। इसकी सेटलमेंट कॅश में होती हैं।
निफ्टी बैंक यह बैंकिंग सेक्टर का इंडेक्स है। इसे बैंक निफ़्टी भी कहा जाता हैं। यह स्टॉक मार्केट की 12 बड़ी बैंक्स को मिलाकर बनाया गया है। निफ़्टी बैंक के बढ़ने से बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स बढ़ता हैं और निफ़्टी बैंक के गिरने से बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स गिरता हैं।
निफ्टी बैंक इंडेक्स डायरेक्टली खरीदा या बेचा नहीं जा सकता। वरना हम सभी शेयर्स में ट्रेडिंग करने के बजाय इस इंडेक्स को खरीद कर अपने पोर्टफोलियो में रखेंगे। क्योंकि शेयर्स के मुकाबले इंडेक्स में निवेश करने के ज्यादा फायदे होते हैं। इसलिए निफ्टी बैंक में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करने के लिए निप्पों इंडिया ने Nifty Bank Bees यह ईटीएफ लॉन्च किया है।
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के प्रकार
इन कॉन्ट्रैक्ट्स को पूरा करने के लिए समय पहले से ही फिक्स किया गया है। इसे एक्सपायरी डेट कहा जाता है। एक्सपायरी हर महीने के आखरी थर्सडे को होती है। अगर किसी महीने के आखरी थर्सडे को स्टॉक मार्केट हॉलिडे हो तो एक्सपायरी थर्सडे के पहले दिन याने कि वेनसडे को होती है।
एक्सपायरी डेट के अनुसार बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स के तीन प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट होते हैं। फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट को 3 महीनों तक आगे के लिए रोलओवर कर सकते हैं। इन्हें हम इमेज 1 में देख सकते हैं।
Bank Nifty Futures Contracts on NSE. |
1 ) करंट मंथ कॉन्ट्रैक्ट
यह कॉन्ट्रैक्ट अभी चल रहे महीने के आखिरी थर्सडे तक के लिए बनाया जाता है। याने की अगर यह जानेवारी महीना चल रहा हैं और हमें इसी महीने की एक्सपायरी डेट तक के लिए बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स में ट्रेड लेना हो तो हम Bank Nifty FUT 25 Jan 23 को सिलेक्ट करके ट्रेड ले सकते हैं।
2 ) नेक्स्ट मंथ कॉन्ट्रैक्ट
यह कॉन्ट्रैक्ट अगले महीने के आखिरी थर्सडे तक के लिए बनाया जाता है। याने की अगर यह जानेवारी महीना चल रहा हैं और हमें अगले महीने की एक्सपायरी डेट तक के लिए बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स में ट्रेड लेना हो तो हम Bank Nifty FUT 23 Feb 23 को सिलेक्ट करके ट्रेड ले सकते हैं।
3 ) फार मंथ कॉन्ट्रैक्ट
यह कॉन्ट्रैक्ट तीसरे महीने के आखिरी थर्सडे तक के लिए बनाया जाता है। याने की अगर यह जानेवारी महीना चल रहा हैं और हमें तीसरे महीने की एक्सपायरी डेट तक के लिए बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स में ट्रेड लेना हो तो हम Bank Nifty FUT 29 Mar 23 को सिलेक्ट करके ट्रेड ले सकते हैं।
Bank Nifty Futures की कीमत कैसे तय होती हैं ?
Bank Nifty Futures की कीमत पांच घटकों के आधार पर तय होती हैं। इनके बारे में हम यहां पर जानकारी लेते हैं।
1 ) Nifty Bank Index करंट प्राइस
करंट प्राइस को स्पॉट प्राइस भी कहा जाता है। निफ़्टी बैंक इंडेक्स की करंट प्राइस यह फ्यूचर्स की प्राइस तय करने वाला प्रमुख घटक है।
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स यह निफ़्टी बैंक का डेरिवेटिव्स होने के नाते, निफ़्टी बैंक में बढ़त होने पर इसकी कीमत में भी बढ़त होती हैं और निफ़्टी बैंक में गिरावट होने पर इसकी कीमत में भी गिरावट दर्ज होती है।
2 ) लॉट की साइज
इसके एक कॉन्ट्रैक्ट में निफ़्टी बैंक के 25 यूनिट शामिल होते हैं। याने की इसके 1 लॉट की साइज 25 है।
3 ) एक्सपायरी डेट
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स के कीमत पर एक्सपायरी डेट का अभी असर होता है। जैसे-जैसे एक्सपायरी डेट नजदीक आने लगती है, इसके प्राइस में बदलाव होने लगता हैं।
निफ़्टी बैंक के कीमत में बढ़त होने की संभावना से प्रीमियम भी बढ़ता है। लेकिन एक्सपायरी डेट नजदीक आने पर भी बड़ा मूवमेंट ना बन रहा हो तो यह प्रीमियम कम होते जाता है। और बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स की कीमत निफ़्टी बैंक के स्पॉट कीमत के नजदीक आने लगती है।
4 ) कॉस्ट ऑफ़ कॅरी
इस पर गौर करें कि, फ्यूचर्स कांट्रैक्ट में बायर और सेलर शामिल होते हैं। ठीक है ? इसमें बायर निफ़्टी बैंक को खरीदने का वायदा करता है और सेलर उसे बेचने का वायदा करता है।
ऐसे में एक्सपायरी डेट पर सेलर को उतनी क्वांटिटी बायर को सौंप देनी होती है। सही है ? तो लाजमी है कि सेलर के पास उतनी क्वांटिटी होल्डिंग में होनी चाहिए। इसलिए सेलर को उतनी क्वांटिटी अपने पास होल्ड करना आवश्यक होता है। इसे अपने पास रखने के लिए सेलर को कुछ खर्चे करने होते हैं इसे उस कॉन्ट्रैक्ट की कॉस्ट ऑफ कैरी कहते हैं।
5 ) अपॉर्च्युनिटी लॉस
जब एक फ्यूचर्स राइटर, फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट सेल करता है तो उतनी क्वांटिटी अपने पास रखने के लिए उसे ज्यादा कैपिटल लगाना पड़ता है। अगर उस कालावधी के लिए वही कैपिटल अगर किसी और शेयर्स में लगाता या कहीं और इन्वेस्ट करता या बैंक में जमा करता तो उसे उस पर कुछ आमदनी हो सकती थी। सही है ?
तो उस प्रकार से होने वाली आमदनी का सेलर को त्याग करना पड़ता है। इसकी कीमत फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में जुड़ी हुई होती है। इसे अपॉर्चुनिटी लॉस की कीमत कहा जाता है।
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स प्रीमियम
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स ज्यादातर बार प्रीमियम में ही उपलब्ध होता है। क्योंकि इसमें कॉस्ट ऑफ कैरी और अपॉर्चुनिटी लॉस की कीमत शामिल होती है।
उदाहरण
आज 11 जनवरी 2023 को दोपहर 3:30 pm बजे, बैंक निफ़्टी की क्लोजिंग प्राइस 42232.70 यह है और बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स 25 Jan 2023 की प्राइस 42375.00 यह है।
इस उदाहरण में फ्यूचर्स की प्राइस, निफ़्टी बैंक के स्पॉट प्राइस से ज्यादा दिखाई देती है, इसे प्रीमियम कहा जाता है।
सर्वसाधारण परिस्थिति में प्रीमियम, ज्यादा बढ़ता है ना ज्यादा गिरता है यह मध्यम ही रहता है। "स्टॉक मार्केट में नजदीकी भविष्य में एक्सपायरी डेट तक तेजी होने की संभावना हो तो बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स का प्रीमियम बढ़ता है।"
क्योंकि यहां पर बायर्स को आगे निफ़्टी बैंक की कीमत में बढ़ोतरी होने की संभावनाएं ज्यादा दिखती है। इसलिए वह ज्यादा प्रीमियम चुका कर भी फ्यूचर्स को खरीदना चाहेंगे। सही है ?
इसलिए तेजी में, बुलिश ट्रेंड में बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स का प्रीमियम बढ़ता है। इसे इस तरह से भी देख सकते हैं कि, जब भी कभी फ्यूचर्स का प्रीमियम लगातार बढ़ता जा रहा होता है तब नजदीकी भविष्य में तेजी होने की संभावना ज्यादा होती है।
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स डिस्काउंट
प्रीमियम को समझते वक्त हमने यह पढ़ा कि, बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स की कीमत ज्यादातर बार प्रीमियम में ही उपलब्ध होती है। लेकिन अपवादात्मक परिस्थिति में यह डिस्काउंट में भी उपलब्ध होती है। ऐसा किस तरह से होता है यह समझ लेते हैं।
मान लो, नजदीकी भविष्य में एक्सपायरी डेट तक के कालावधी में निफ़्टी बैंक में जोरदार गिरावट होने की संभावनाएं बन रही हो तो फ्यूचर्स के राइटर्स को कांट्रैक्ट सेल करके मुनाफा होने की संभावना बहुत ही ज्यादा होती है। ऐसे में राइटर्स याने की सेलर्स को कोई अपॉर्चुनिटी लॉस ना होने के कारण यह अमाउंट डिडक्ट हो जाता है।
इसके साथ ही आगे बड़ा मुनाफा होने की संभावना बन रही होने के कारण कॉन्ट्रैक्ट कैरी करने का कॉस्ट ऑफ कैरी ना मिले तो भी चलता है। इसलिए कॉस्ट ऑफ कैरी की कीमत भी डिडक्ट हो जाती है। और तो और सेलर्स, निफ़्टी बैंक को डिस्काउंट में बेच रहे होते हैं।
उदाहरण
निफ़्टी बैंक की कीमत 43000 चल रही हो तो और आगे और गिरावट बढ़ने की संभावनाएं ज्यादा बन रही हो तो सेलर्स अभी से 42950 में भी बेचने के लिए तैयार होते हैं। इसलिए बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स की प्राइस डिस्काउंट में भी उपलब्ध होती है।
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स की संभावनांए
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स का कॉन्ट्रैक्ट यह दो पार्टियों के बिच का सौदा होता है। इसमें तय किया जाता हैं कि, अभी के कीमत पर विशिष्ट कालावधी के बाद ट्रेड पूरा करेंगे। ऐसे में इसमें तीन प्रकार की संभावनाएं बनती है।
1 ) उस पर्टिकुलर समय सीमा में निफ़्टी बैंक की कीमत बढ़ सकती है।
2 ) उस पर्टिकुलर समय सीमा में निफ़्टी बैंक की कीमत घट सकती है।
3 ) या फिर निफ़्टी बैंक की कीमत, कॉन्ट्रैक्ट बनाते वक्त जो प्राइस हैं उसी के आसपास चल रही हो सकती है। सही है ?
इन संभावनाओं के आधार पर स्ट्रैटेजी बनाकर बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स का अलग-अलग उपयोग किया जाता है।
Bank Nifty Futures में ट्रेडिंग कैसे करें ?
इस पर ध्यान दें कि, बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स में ट्रेडिंग करने के लिए पहले फंडामेंटल एनालिसिस करना चाहिए और फिर टेक्निकल एनालिसिस करके ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बनानी चाहिए। और बैंक निफ़्टी में डेली ट्रेडिंग करने की चेक लिस्ट बनाने से ट्रेडिंग परफॉर्मेंस बेहतर होता है।
1 ) लॉन्ग
लॉन्ग का मतलब होता है कि, स्टॉक मार्केट में बैंक निफ़्टी में तेजी की संभावना पर ट्रेड करना।
2 ) शॉर्ट
शॉर्ट का मतलब होता है कि, स्टॉक मार्केट में बैंक निफ्टी में मंदी की संभावना पर ट्रेड करना।
3 ) स्प्रेड
स्प्रेड का मतलब होता है कि, स्टॉक मार्केट में बैंक निफ्टी में अप्पर-लोअर रेंज को समज़कर लॉन्ग-शॉर्ट ट्रेड्स का कॉम्बिनेशन करना होता है।
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स में इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, पोजीशनल ट्रेडिंग की जाती है। हम कितने समय के लिए बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स में ट्रेडिंग करना चाहते हैं ? इसके अनुसार, इनमें से एक प्रकार को चुनना चाहिए। और उसमें ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बनाकर काम करना चाहिए।
Bank Nifty Futures में हेजिंग कैसे करें ?
स्टॉक मार्केट में पोर्टफोलियो बनाकर स्टॉक्स पोर्टफोलियो में होल्ड किए जाते हैं। ऐसे में अपने बैंकिंग सेक्टर के स्टॉक्स की होल्डिंग को सुरक्षित रखने के लिए बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स को सेल करके हेजिंग की जाती है।
हमने यह जाना
हमने यहाँ पर, इसमें बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स क्या हैं ? बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स के प्रकार कौन-से है ? बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स प्रीमियम क्या हैं ? बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स डिस्काउंट क्या हैं ? यह जानकारी ली है।
और हमने यह जाना कि, बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स यह वायदा बाजार के कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं। इसके जरिए हम निफ़्टी बैंक इंडेक्स को खरीदने बेचने का वायदा करते हैं। हालांकि इसे हम एक्सपायरी डेट पर प्रत्यक्ष रूप में खरीद या बेच नहीं सकते हैं। इसका सेटलमेंट कॅश के रूप में होता है।
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स की कीमत ज्यादातर बार प्रीमियम में ही होती है क्योंकि इसमें कॉस्ट ऑफ कैरी और अपॉर्चुनिटी लॉस की कीमत शामिल होती है। लेकिन कभी-कभी यह डिस्काउंट में भी उपलब्ध हो जाता है।
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स का उपयोग हम निफ़्टी बैंक में ट्रेडिंग करने के लिए कर सकते हैं। इसके साथ ही बैंकिंग सेक्टर के स्टॉक्स की होल्डिंग अपने पोर्टफोलियो में हो तो इसके कॉन्ट्रैक्ट को बेचकर हम अपने पोर्टफोलियो को हेज कर सकते हैं।
इस तरह के कॉन्ट्रैक्ट की अधिकतम समय सीमा 3 महीने की होती है। 1 महीने के लिए लिए गए फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट को हम अगले महीने के लिए या अगले 2 महीनों के लिए रोलओवर कर सकते हैं।
उपयुक्त जानकारी
Bank Nifty Chart Analysis. एक नई आईडिया।
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Bank Nifty Futures FAQ's
1 ) बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स प्रीमियम में क्यों होता है ?
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स में, कॉस्ट ऑफ कॅरी और अपॉर्चुनिटी लॉस की अमाउंट शामिल होने के कारण यह प्रीमियम में होता है।
2 ) बैंक निफ्टी फ्यूचर्स का प्रीमियम कब बढ़ता है ?
स्टॉक मार्केट में और निफ़्टी बैंक में नजदीकी भविष्य में तेजी होने की संभावना ज्यादा होने पर बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स का प्रीमियम बढ़ता है।
3 ) बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स का प्रीमियम कब कम होने लगता है ?
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स का प्रीमियम कंसोलिडेशन के कारण और एक्सपायरी डेट नजदीक आने के कारण कम होने लगता है।
4 ) बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स डिस्काउंट में कब आता है ?
स्टॉक मार्केट में और निफ़्टी बैंक में नजदीकी भविष्य में जोरदार गिरावट होने की संभावना बन रही हो तो बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स डिस्काउंट में आता है।
5 ) बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स प्रीमियम में हैं या डिस्काउंट में हैं यह कैसे समझे ?
बैंक निफ़्टी फ्यूचर्स की कीमत, निफ़्टी बैंक इंडेक्स से ज्यादा हो तो प्रीमियम में होती है और कम हो तो डिस्काउंट में होती है।
1 Comments
Bank Nifty Futures की यह जानकारी बहुत अच्छी लगी।
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