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Option Chain के Volume को कैसे समझे ? ऑप्शन चैन वॉल्यूम की जानकारी।

दोस्तों आज हम यहां पर मिलकर, Option Chain के Volume को कैसे समझे ? इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही ऑप्शन चैन के वॉल्यूम की जानकारी का उपयोग हम ट्रेडिंग करने के लिए किस तरह से कर सकते हैं ? यह भी जानने की कोशिश करेंगे। तो आइए शुरू करते हैं। 

Option Chain Volume In Hindi.
Image 1 Stock Market Option Chain Volume In Hindi.


ऑप्शन चैन में स्ट्राइक प्राइस, ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम यह तीन महत्वपूर्ण घटक होते हैं। इनमें से "वॉल्यूम यह ट्रेडिंग के उपयोग में आ चुके लॉट्स की संख्या होती है।" इसलिए ऑप्शन चैन के वॉल्यूम को समझना आवश्यक होता है। ऑप्शंस यह स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्स का प्रकार है। इसमें ट्रेडिंग करने के लिए ऑप्शन चैन देखी जाती है।

     

    Option Chain का मतलब

    "किसी भी शेयर या इंडेक्स के ऑप्शन ट्रेडिंग की सारी जानकारी एक साथ उपलब्ध कराने वाली लिस्ट को ऑप्शन चैन कहते हैं।" ऑप्शन चैन यह मार्केट डाटा होता है। इसमें स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव ऑप्शंस में चल रही एक्टिविटी दर्ज होती है। 

                स्टॉक मार्केट ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए, अलग-अलग स्ट्राइक प्राइस के कॉल और पुट में हो रही ट्रेड्स की जानकारी लेना आवश्यक होता है। इस जानकारी की मदद से हम किस स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेडिंग करना हमारे लिए बेहतर होगा, इसके बारे में डिसीजन ले सकते हैं।


    Option Chain का Volume

    अब सवाल यह है कि ऑप्शन चैन के वॉल्यूम का मतलब क्या है ? जवाब में कहते हैं कि, "ऑप्शन चैन का वॉल्यूम यह पुरे किए गए ट्रेड्स के लॉट की टोटल संख्या होती हैं।" ज्यादा वॉल्यूम ट्रेडर्स की उपस्थिति याने की भीड़ को दर्शाता हैं। 

                इस जवाब से स्टॉक मार्केट के कई सारे रियल फैक्ट्स उजागर होते हैं। जैसे की, स्टॉक मार्केट में जहां भीड़ है वहीं से पैसे कमाए जा सकते हैं। और इस बात को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते। 

                ऑप्शन चैन में कई सारे कॉलम होते हैं। वॉल्यूम का कॉलम, कॉल और पुट साइड में, चेंज इन ओपन इंटरेस्ट और इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी के बिच में होता है। कॉल साइड के वॉल्यूम कॉलम में स्ट्राइक प्राइस पर कॉल ऑप्शन में खरीदी-बिक्री किए गए लॉट्स की संख्या दिखाई जाती है। और पुट साइड के वॉल्यूम कॉलम में स्ट्राइक प्राइस पर पुट ऑप्शन में खरीदी-बिक्री किए गए लॉट्स की संख्या दिखाई जाती है। 

    विशेष बात

    निफ़्टी के एक लॉट में 50 क्वांटिटी होती है। 1 लॉट के खरीदी-बिक्री का ट्रेड होने से वॉल्यूम 1 बनता है ना कि 50 और इसी तरह निफ़्टी बैंक का एक लॉट 25 का है। ऐसे में 1 लॉट के खरीदी-बिक्री का ट्रेड होने से वॉल्यूम 1 बनता है ना कि 25, ठीक है ?


    Option Chain के Volume को कैसे समझे ?

    Stock Market Option Chain Volume In Hindi.
    Image 1 Option Chain Volume ki Jankari In Hindi.


    इमेज 1 में ऑप्शन चैन के वॉल्यूम को यलो रंग के बॉक्स से हाय-लाइट करके दिखाया हैं। 

    Option Chain High Volume In Hindi.
    Image 2 Option Chain Volume In Hindi.


    इमेज 2 में हम देख सकते है कि, एट द मनी और नजदीकी इन द मनी ऑप्शंस के स्ट्राइक प्राइस पर वॉल्यूम ज्यादा होता हैं। 

                बहुत अंदर के इन द मनी ऑप्शंस के स्ट्राइक प्राइस पर वॉल्यूम बहुत कम होता हैं। और बहुत दूर के आउट ऑफ़ द मनी के स्ट्राइक प्राइस पर वॉल्यूम कम होता हैं। लेकिन, "खास मौकों पर आउट ऑफ़ द मनी के स्ट्राइक प्राइस पर वॉल्यूम बढ़ता है।" 

    किसी पर्टिकुलर स्ट्राइक प्राइस के अलग-अलग एक्सपायरी डेट का वॉल्यूम देखने के लिए हम हमें उस स्ट्राइक प्राइस पर क्लिक करना होता है। 

    Option Chain Volume with Expiry Date In Hindi.
    Image 3 Option Chain Volume with Expiry Date In Hindi.

     

    इमेज 3 में हम देख सकते है कि, स्ट्राइक प्राइस पर क्लिक करने से एक्सपायरी डेट के अनुसार अगले तीन महीनों का डाटा उपलब्ध होता हैं। इस डाटा में दिखाई देने वाले वॉल्यूम का उपयोग हम अपने ट्रेडिंग डिसीजन लेने के लिए कर सकते हैं। अब हम वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट के रिश्ते पर नजर डालते हैं। 


    वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट का रिश्ता

    ऑप्शन चैन के वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट का रिश्ता समझने में बहुत ही आसान है। किसी भी कंपनी के शेयर्स की टोटल संख्या फिक्स होती है। लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग में बन रहे कॉन्ट्रैक्ट की संख्या फिक्स नहीं होती है। तो जाहिर सी बात है कि, जिस स्ट्राइक प्राइस पर ज्यादा वॉल्यूम हो वहां पर ज्यादा मात्रा में कॉन्ट्रैक्ट बन रहे होते हैं। इन बनकर तैयार हुए कॉन्ट्रैक्ट की संख्या को ओपन इंटरेस्ट कहते हैं। 

    ऑप्शन चैन के वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट में क्या फर्क होता है ?

    इसे आसानी से समझने के लिए हम उदाहरण देखते हैं। 

    उदाहरण

    1 ) बैंक निफ्टी का एक लॉट 25 युनिट का होता है। ऑप्शन राइटर 'A' ने, एक लॉट बेचा और बायर 'B' ने उसे खरीदा तब वॉल्यूम 1 बनता है। यहां पर बायिंग-सेलिंग की क्रिया पूरी होती है। ऐसे में ओपन इंटरेस्ट 1 बनता है।

    2 ) अब उस बायर 'B' ने, ख़रीदा हुआ वह एक लौट बेच दिया। उस लॉट को बायर 'C' ने खरीदा। ऐसे में वॉल्यूम 2 बनता है और ओपन इंटरेस्ट 1 ही रहता है। 

    3 ) ऑप्शन राइटर 'A' ने, अपना बेचा हुआ एक लॉट 'C' से वापिस खरीद कर ट्रेड पूरा करने पर वॉल्यूम 3 बनता है और ओपन इंटरेस्ट एक से कम हो जाता है। क्योंकि 1 खुला सौदा पूरा किया गया है। 

    Stock Market Option Chain in Hindi.
    Image 4 Option Chain Volume and Open Interest.


    विशेष बात

    ऑप्शन राइटर के द्वारा ऑप्शन को बेचने पर ही ऑप्शन चैन के ओपन इंटरेस्ट में इजाफा होता है। ऑप्शन राइटर के द्वारा बेचे गए ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदने पर ओपन इंटरेस्ट घटता है। ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को खरीदने-बेचने की क्रिया से वॉल्यूम बढ़ता जाता है। 


    Option Chain का Volume देखने के फायदें

    ऑप्शन चैन के वॉल्यूम की जानकारी का उपयोग हम ट्रेडिंग करने के लिए कर सकते हैं। 

    Option Chain एक्टिविटी

    दोस्तों, हम ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं, पोजीशनल ट्रेडिंग करते हैं। ऐसा करने के लिए हमें किसी स्ट्राइक प्राइस के कॉल ऑप्शन या पुट ऑप्शन को सिलेक्ट करना होता है। 

                ट्रेडिंग करने के लिए ऑप्शन को सिलेक्ट करते वक्त उसमें एक्टिविटी चल रही है या नहीं यह देखना बहुत ही आवश्यक होता है। अगर हम यह बिना देखे किसी स्ट्राइक प्राइस के ऑप्शन में एंटर करते हैं तो उस ट्रेड से बाहर निकालना मुश्किल हो सकता है। 

                जिन ऑप्शंस में बढ़िया एक्टिविटी चल रही होती है उनमें ट्रेडिंग करना अच्छा होता है। क्योंकि वहां पर बिड प्राइस और आस्क प्राइस में बहुत ज्यादा डिफरेंस नहीं होता है। 

    Option Chain लिक्विडिटी

    शेयर्स के या इंडेक्स के जिन स्ट्राइक प्राइस पर ज्यादा वॉल्यूम होता है उनमें बड़े ट्रेडर्स, बड़े-बड़े फंड्स ट्रेडिंग कर रहे होते हैं। इस वजह से उन ऑप्शंस में अच्छी लिक्विडिटी होती है। और इसी भीड़ का फायदा उठाकर हम ऑप्शन के ट्रेडिंग में आसानी से एंटर और एग्जिट कर सकते हैं। 

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    हमने यह जाना

    हमने यह जाना कि, स्टॉक मार्केट के ऑप्शन चैन में वॉल्यूम का कॉलम होता है। उसमें ऑप्शन ट्रेडिंग में कितने लॉट्स ने हाथ बदले हैं इसके बारे में जानकारी होती है। हम ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं तब कॉल ऑप्शन या पुट ऑप्शन खरीदते हैं और बेचते हैं। इससे वॉल्यूम का निर्माण होता है। 

                जब किसी सेलर से ऑप्शन का 1 लॉट खरीदते हैं तब हम बायर की भूमिका में होते हैं। उस सेलर के और हमारे बीच में एक कॉन्ट्रैक्ट होता है। और जब हम ट्रेड क्लोज करने के लिए वह ऑप्शन का लॉट बेचते हैं, तब हम सेलर की भूमिका में होते हैं। और इस लॉट को खरीदने वाला ट्रेडर बायर होता है। इस तरह से अगर हम "एक ट्रेड में 1 लॉट के साथ कारोबार करते हैं तो वॉल्यूम एक बनता है।" अगर हम 10 लॉट्स के साथ कारोबार करेंगे तो उस ट्रेड का वॉल्यूम 10 बनता है। 

                और हमने यह जाना कि, ऑप्शन चैन का स्टडी करते वक्त वॉल्यूम को समझना बहुत ही आवश्यक होता है। इसके जरिए हम ट्रेडिंग के लिए आवश्यक जानकारी जुटा सकते हैं। 


    Option Chain Volume FAQ's

    1 ) ऑप्शन चैन में वॉल्यूम किसे कहते है ?

    कॉल और पुट ऑप्शन में हुए लॉट्स की ट्रेडिंग को ऑप्शन चैन का वॉल्यूम कहते है।

    2 ) ऑप्शन चैन के वॉल्यूम से क्या जानकारी मिलती है ?

    हर एक पर्टिकुलर स्ट्राइक प्राइस पर कॉल और पुट ऑप्शन में चल रही ट्रेडिंग एक्टिविटी की जानकारी वॉल्यूम से मिलती है।

    3 ) ऑप्शन चैन में वॉल्यूम बढ़ने का क्या मतलब निकलता है ?

    ऑप्शन चैन में वॉल्यूम बढ़ने से ट्रेडर्स का बढ़ता हुआ इंटरेस्ट दिखाई देता है। इससे ऑप्शन की कीमतों में बड़े बदलाव होने की संभावना होती है।

    4 ) ऑप्शन चैन में वॉल्यूम कम होने का क्या मतलब निकलता है ?

    ट्रेडर्स का, ट्रेडिंग में इंटरेस्ट कम होने से वॉल्यूम कम होता है। इससे ऑप्शन की कीमते कम होने लगती है।

    5 ) ऑप्शन चैन के ज़ीरो वॉल्यूम का क्या मतलब निकलता है ?

    जिस कॉल या पुट ऑप्शन में जीरो वॉल्यूम होता है उसमें चल रहे ट्रेडिंग सेशन में कोई ट्रेड नहीं बना है। यह ऑप्शन चैन के जीरो वॉल्यूम का मतलब निकलता है।

    6 ) वॉल्यूम के अनुसार पुट कॉल रेशों एक से ज्यादा होने का क्या मतलब निकलता है ?

    वॉल्यूम के अनुसार पुट कॉल रेशों एक से ज्यादा होने का यह मतलब निकलता है कि, पुट ऑप्शन में कॉल ऑप्शन से ज्यादा ट्रेडिंग हुई है।

    7 ) वॉल्यूम के अनुसार पुट कॉल रेशों एक से कम होने का क्या मतलब निकलता है ?

    वॉल्यूम के अनुसार पुट कॉल रेशों एक से कम होने का यह मतलब निकलता है कि, कॉल ऑप्शन में पुट ऑप्शन से ज्यादा ट्रेडिंग हुई है।

    8 ) ऑप्शन चैन का वॉल्यूम ट्रेडिंग पर क्या प्रभाव डालता है ?

    ऑप्शन चैन का वॉल्यूम बढ़ने से लिक्विडिटी बढ़ती है। इससे सही कीमत पर ट्रेडिंग करना आसान होता है।

    9 ) वॉल्यूम के साथ कॉल ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट बढ़ने से क्या संभावना बनती है ?

    वॉल्यूम के साथ कॉल ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट बढ़ने से तेजी की संभावना बनती है।

    10 ) वॉल्यूम के साथ पुट ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट बढ़ने से क्या संभावना बनती है ?

    वॉल्यूम के साथ पुट ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट बढ़ने से मंदी की संभावना बनती है।


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    2 Comments

    1. Option Chain Volume और 0pen Interest सेम ही लगता है। कृपया इसके बारें में और बताएं।

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      1. Welcome Sir,
        आप की सूचना के अनुसार यहाँ पर, ऑप्शन चैन के वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट में क्या फर्क होता है ? यह जानकारी अपडेट की है। हमें उम्मीद है कि, यह जानकारी आपको जरूर उपयुक्त लगेगी। कमेंट करने के लिए शुक्रिया।

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