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Stock Market Churning in Hindi. चर्निंग करने का बढ़िया तरीका।

दोस्तों, आज हम यहाँ पर मिलकर, "स्टॉक मार्केट में चर्निंग करने का बढ़िया तरीका समझ लेते हैं।" इससे प्रॉफिट बुक किया जाता हैं। यहाँ पर Stock Market Churning की जानकारी हिंदी में उपलब्ध की है। इसमें स्टॉक मार्केट Churning क्या होता है ? स्टॉक मार्केट Churning कैसे करते हैं ? "स्टॉक मार्केट चर्निंग के जरिए इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करते हैं ?" स्टॉक मार्केट में प्रॉफिट बुकिंग कैसे करते हैं ? स्टॉक मार्केट में लॉस को अवॉइड कैसे करते हैं ? स्टॉक मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग एकसाथ करके पैसे कैसे कमाते हैं ? यह सारी जानकारी मिलती है। 

Stock Market Churning in Hindi.
Stock Market Churning in Hindi.


कहते हैं की, "राजहंस के सामने दूध में पानी मिलाकर धर दो, वह सिर्फ दूध पिएगा और पानी बाकी छोड़ देगा।" स्टॉक मार्केट के राजहंस ट्रेडर्स "Churning के जरिए प्रॉफिट बुक करते हैं।" और लॉस को छोड़ देते हैं। कैसे ? आइए समज़ते हैं।

     

    स्टॉक मार्केट चर्निंग क्या होता हैं ? 

    "किसी पर्टिकुलर स्टॉक को चुनकर उसमें डिलीवरी बायिंग की पोजीशन बनाकर, उसी शेयर में इंट्राडे ट्रेडिंग करके हम कुछ मुनाफा कमाते हैं। इसे स्टॉक मार्केट चर्निंग कहते हैं।" क्या ऐसा करना मुमकिन है ? अगर हां! तो हम इसे किस तरह से कर सकते हैं ? इसके बारे में डिटेल में समझ लेते हैं। 

                जब स्टॉक मार्केट नए-नए हाइ बनाता है और अपने नए हाई को तोड़ता है या फिर गिरावट में लो बनाता है और अपने लो को ब्रेक करते जाता है। ऐसे वक्त में हमें अपने स्ट्रैटेजी को फिर से परखना होता है। और अपने सारे नॉलेज को और अपने अंदर की एक्सपर्टीज को इस्तेमाल करना होता है। 

                अगर हम यह कहते हैं कि, स्टॉक मार्केट इंट्राडे ट्रेडिंग यह रिस्की बिजनेस है। और हम कोई दूसरा बिजनेस करने जाते हैं। जैसे कोई शॉप बनाते हैं तो उसका फिक्स इन्वेस्टमेंट तकरीबन 20 लाख तक का चाहिए। और उसको चलाने का सालाना खर्चा, तकरीबन 15 लाख से 20 लाख रुपए तक आएगा। इससे हमें सालाना तकरीबन 4 लाख से 5 लाख रुपए तक की मैक्सिमम आमदनी हो सकती है। 

                इसमें भी शॉप ना चलने की रिस्क तो होती ही हैं। फायदा होने की संभावना के साथ नुकसान होने की भी संभावना होती है। ठीक इसी तरह से स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में भी होता हैं। लेकिन हम यहां पर कम कैपिटल का यूज करके अपने लिए ठीक-ठाक पैसा कमा सकते हैं। "स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट यह पैसा बनाने के स्मार्ट तरीके हैं।" इन दोनों में रिस्क हैं और बड़ा पैसा बनाने की संभावना भी हैं। तो पैसा बनाने की संभावना को और ज्यादा बढ़ने के लिए, हम इन दोनों को एक साथ मिलाकर एक स्ट्रेटजी बनाते हैं। जिसे की चर्निंग कहते हैं। 


    स्टॉक मार्केट चर्निंग क्यों करनी चाहिए ? 

    स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं तो, गिरावट के कारण नुकसान होने की संभावना होती है। स्टॉक मार्केट की ऐसी कंडीशन में फियर अँड ग्रीड पर कंट्रोल बनाते हुए निवेश करना होता हैं। ठीक हैं ? 

    1) निवेश सही हुआ तो बढ़िया प्रॉफिट बुकिंग का अवसर नहीं मिलता।

    अगर हमारा निवेश सही बैठा यानी कि, प्रॉफिट में आ गए तो भी कई बार हम में से कई निवेशक अपना प्रॉफिट बुक नहीं कर सकते हैं। हम देखते रहते हैं कि, शेयर ऊपर जा रहा है। मान लो हमने Rs. 500 पर ख़रीदा हैं। वह 550 हुआ है, 600 हुआ है। तो हम खुश हो जाते हैं और अपनी होल्डिंग को लंबे समय के लिए होल्ड करना चाहते हैं। लेकिन जैसे ही गिरावट शुरू होती है, शेयर नीचे आने लगता है। हमें परेशानी महसूस होने लगती हैं। 

                शेयर, वापिस घूम कर 500 के करीब आ जाता है। यहां तक तो हम पेशेंस रख सकते हैं। लेकिन जब वह 480, 470 के लेवल पर जाने लगता हैं तब हमें बुरा लगने लगता है। और हम अपनी पोजीशन काट लेते हैं। यहां पर हमें लॉस हो जाता है। 

                तो जब हम निवेश करते हैं। यहां पर छोटे अवधि की बात हो रही है। जब मार्केट में पैसा डालते हैं, शेयर लेते हैं और वह प्रॉफिट में चला जाता है। तो हम बस देखते रहते हैं। हम उस प्रॉफिट को बुक नहीं कर पाते हैं। हमें लगता है कि. अगर हम अभी बेचते हैं और बाद में यह और ऊपर चला जाए तो ? इस वजह से हम बेच नहीं पाते, प्रॉफिट बुक नहीं कर पाते और जब नीचे जाने लगता है और लॉस होने लगता है। तब हम लॉस में शेयर बेच देते हैं। 

    2) निवेश गलत हुआ तो लॉस से उबरने का अवसर नहीं मिलता।

    चलो मान लो ऊपर के उदाहरण में, 470 पर जाने पर भी हमने शेयर्स नहीं निकाले। और उन्हें लंबी अवधि के लिए रखने का सोचा तो ऐसे में, हमारे बायिंग प्राइस तक की रिकवरी आने में 1 साल, 2 साल भी लग सकते हैं या 5 साल भी लग सकते हैं। कुछ कहा नहीं जा सकता। सही हैं ? यानी के हमें उस लॉस से उबरने का अवसर ही नहीं मिल पाता है। 

    3) बड़ा गैप अप या गैप डाउन ओपन होने के कारण ट्रेडिंग का अवसर नहीं मिलता।

    ट्रेडिंग की बात की जाए तो, स्टॉक मार्केट अगर तेजी के ट्रेंड में हैं। हर दिन लगातार गैप अप ओपनिंग हो जाती है। जिसमें इंडेक्सेस के साथ शेयर भी 1, 2 परसेंट ऊपर खुलते हैं। 

                तो एक इंट्राडे ट्रेडर, वहां पर ट्रेड कैसे बनाएगा ? और बनाएगा भी तो वह कितना टारगेट रखेगा ? और वहां से शेयर थोड़ा नीचे आ जाए तो इंट्राडे में वापिस उसी लेवल पर जाएगा या नहीं जाएगा कह नहीं सकते। तो अगर हम ट्रेडिंग करने बैठे हैं तो कल की क्लोजिंग से आज की गैप अप ओपनिंग के बीच में जो फायदा होने वाला था वह नहीं हो पाता है। 

    4) गैप अप ओपन होने के कारण निवेश करने का अवसर नहीं मिलता।

    ट्रेडिंग में ऐसा होता है यह सोच कर, निवेश करने की तैयारी करते हैं। तेजी के ट्रेंड में मार्केट लगातार ऊपर ओपन हो रहा है तो निवेश के लिए खरीदारी कहां पर करें ? यह कन्फ्यूजन होता है। मार्केट बहुत ही ऊपर ओपन हुआ क्या अब हमें लेना चाहिए या फिर किसी गिरावट में मौका ढूंढना चाहिए ? ऐसा सोचते हुए, हम थोड़े डीप का इंतजार करते हैं। और मार्केट ऊपर की तरफ भाग जाता है। 

    5) निवेश के बाद गैप डाउन ओपन होने के कारण निवेश में प्रॉफिट नहीं मिलता।  

    चलो बढ़ते मार्केट में हमने निवेश करने का फैसला किया। और कोई शेयर है जो कि, Rs. 450 से दौड़ना शुरू हुआ हैं। Rs. 500 पर चल रहा है। उसमें हमने एवरेज खरीददारी करने का तय किया। निवेश के लिए हमने Rs. 500 पर थोड़ा लिया, 520 पर थोड़ा लिया और 540 पर और ज्यादा क्वांटिटी बढ़ाई। 

                इससे हमारी एवरेज पोजीशन Rs. 520 पर बन गई। और अगर तेजी की दौड़ में यह शेयर Rs. 450 से दौड़ना शुरू किया हैं और अगर गिरावट होने लगती है तो, वह कम से कम Rs. 500 तक का डिप तो दिखाएगा ही। और हमारी खरीद 520 पर बनी है। 

                ऐसे में अगर शेयर के भाव 520 के नीचे जाने लगता हैं तो हमें लॉस होने लगता है। ऐसे कई सारे अनुभव, परिस्थितियां हमारे सामने आती रहती है। इनसे निपटने के लिए हमारे पास स्टॉक मार्केट निवेश और ट्रेडिंग को मिलाकर बनने वाली स्ट्रेटजी होनी चाहिए। जोकि स्टॉक मार्केट के इन परिस्थितियों से मुनाफा कमाने के लिए अनुकूल हों। चर्निंग के जरिए हम ऐसे कर सकते हैं। इसलिए स्टॉक मार्केट चर्निंग करनी चाहिए। 


    स्टॉक मार्केट चर्निंग कैसे करे ? 

    चर्निंग की प्रोसेस 

    हमने स्टॉक मार्केट में चर्निंग के जरिए काम करने की जरूरत महसूस की हैं। हमने Rs. 1 लाख के कैपिटल से शुरू किया। प्रति शेयर Rs. 500 के, 200 शेयर्स खरीदें। चर्निंग करने के लिए डिलीवरी पोजीशन बनाने के बाद अगले दिन इन तीनों में से एक सिचुएशन बनेगी। उस सिचुएशन के अनुसार हम काम करेंगे। 

    1 ) हमने खरीदा हुआ शेयर, आधा परसेंट या एक परसेंट ऊपर ओपन हो सकता हैं। 

    सिचुएशन एक के अनुसार, शेयर अगले दिन एक परसेंट ऊपर ओपन होकर बढ़ने लगता है। ऐसे में Rs. 505 के आसपास हमने आधी क्वांटिटी याने की 100 शेयर्स बेचे। अगर दिन भर में यह निचे गिरता हैं और एक परसेंट का मुनाफा मिल रहा हो तो हमें अपनी बेची हुई क्वांटिटी वापस खरीद लेनी है। इससे इंट्राडे में Rs. 500 की इनकम होगी। 

                बेचने के बाद शेयर की कीमत बढ़ने लगे तो ऐसा सोचना हैं की, हमने आधी क्वांटिटी में ओपनिंग के बढ़त का प्रॉफिट बुक किया है। यहाँ पर Rs. 500 हमने स्टॉक मार्केट से निकाले हैं। अब हम उस दिन बेचे हुए 100 शेयर्स वापिस नहीं खरीदेंगे। और जो आधी क्वांटिटी बची हैं उसमें भी प्रॉफिट बन रहा हैं। 

    2 ) हमने खरीदा हुआ शेयर फ्लैट ओपन हो सकता है। 

    अगर स्टॉक मार्केट फ्लैट ओपन होता है। हमारा खरीदा हुआ शेयर भी कल की क्लोजिंग आस-पास ही ओपन होता है तो भी हम आधी क्वांटिटी बेच देंगे। 

                इससे होगा यह की, अगर शेयर नीचे जाने लगता है तो बेची हुई क्वांटिटी में हमें मुनाफा दिखने लगता है। और नीचे में वापस खरीद कर हम इंट्राडे का मुनाफा ले सकते हैं। और अगर शेयर बढ़ने लगे तो हमारे पास डिलीवरी में आधी पोजीशन तो है ही। हमें उसमें मुनाफा होने लगता है।

    3 )  हमने खरीदा हुआ शेयर, एक या दो परसेंट गैप डाउन ओपन हो सकता हैं। 

    तीसरी सिचुएशन में यह हो सकता है कि, शेयर गैप डाउन खुलें और वहां पर हम आधी क्वांटिटी बेच देते हैं और वही से स्टॉक मार्केट और ज्यादा नीचे जाता है। ऐसे में हमें सेलिंग से, इंट्राडे में प्रॉफिट मिलने लगता हैं। इस इंट्राडे की सेलिंग पोजीशन को प्रॉफिट में स्टॉप लॉस लगकर, दिनभर के लिए होल्ड करेंगे। और 1 परसेंट मुनाफा मिलने लगे तो अपनी सेलिंग की पोजीशन इंट्राडे में कवर कर लेंगे। दिन भर की गिरावट से हमारी डिलीवरी पोजीशन में लॉस होगा लेकिन इंट्राडे में हम उस गिरावट के दौरान मुनाफा कमाकर निकलेंगे। 

                इन सिचुएशंस को पहली बार अनुभव करने के लिए हम पेपर ट्रेडिंग कर सकते हैं। रियल मनी से शुरुआत करना हो तो थोडे कैपिटल के साथ कर सकते हैं। 


    स्टॉक मार्केट चर्निंग के लिए तैयारी 

    हम स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं और चर्निंग यह ट्रेडिंग का ही एक प्रकार है। इसलिए इसकी तैयारी हम आसानी से कर सकते है। 

    स्टडी 

    स्टडी के बारे में कहा जाए तो, स्टॉक मार्केट में चर्निंग के जरिए पैसे कमाने के लिए कोई अलग से स्टडी नहीं करना है। स्टॉक मार्केट में काम करने के अपने तजुर्बे को यहां पर इस्तेमाल करना है। इसमें फंडामेंटल एनालिसिस, टेक्निकल एनालिसिस यह दोनों महत्वपूर्ण होते हैं। डिलीवरी पोजीशन बनाने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस करना होता है। इसके बारे में अधिक जानना हो तो पोज़िशनल ट्रेडिंग को पढ़ सकते हैं। और इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस करना जरूरी होता है। सही है ? 

    कैपिटल 

    अब बात करते हैं कैपिटल की। इसके लिए पैसा लगाना होगा ? तो जवाब में कहते हैं की, कम से कम Rs. 50,000 और ज्यादा कहा जाए तो हम लगा सकते हैं Rs. 2 लाख। यह हमारे पैसों के तैयारी पर डिपेंड करता है। विस्तार से जानने में इंटरेस्ट हो तो यह भी पढ़िए। 

    स्टॉक मार्केट में कितना पैसा लगाना चाहिए ? 

    मानसिक तैयारी 

    अब हमारे पास स्टॉक मार्केट का नॉलेज है। हमारे पास पैसा है। तो अब बात आती हैं हमारे खुद की तैयारी की। काम कोई भी हो जब तक हम खुद उसे करने के लिए तैयार नहीं होते हैं तब तक वह काम हंड्रेड परसेंट एनर्जी लगाकर हम नहीं कर सकते हैं। तो चर्निंग करने के लिए हमें मानसिक रूप से तैयार होना महत्वपूर्ण होता है। हमें अपने मन में यह ठान लेना चाहिए कि, हमें चर्निंग के जरिए पैसे कमाने हैं। 

    विशेष बात 

    1 ) ब्रोकर को हमारे डीमैट में उनके हिसाब से चर्निंग करने नहीं देना हैं। ब्रोकर खुद ऐसा करते हैं तो यह एक्टिविटी ईल-लीगल मानी जाती हैं। चर्निंग हमें खुद करनी चाहिए। हमें अपना डीमैट किसी और को चलाने के लिए नहीं देना हैं। 

    2 ) चर्निंग करते वक्त, इंट्राडे ऑर्डर और डिलीवरी ऑर्डर को ठीक से देखकर डालना चाहिए। नहीं तो इंट्राडे की ऑर्डर से बेचकर छोड़ेंगे तो 3:20 pm पर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स पोजीशन क्लोज कर देंगे। इससे ना चाहते हुए भी डिलीवरी लेकर जाना पड सकता हैं। 


    स्टॉक मार्केट चर्निंग का मंथली टारगेट  

    अब आगे बढ़ते हुए इस पर विचार-विमर्श करते हैं कि, स्टॉक मार्केट चर्निंग में टारगेट क्या रखा जाए ? जब की, हम डिलीवरी पोजीशन लेकर उसी शेयर में इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं। 

                इसमें अपने परफॉर्मेंस को इंट्राडे के पैमाने पर नहीं नापना चाहिए। हमें मंथली बेसिस पर टारगेट रखने चाहिए। इसके लिए मंथली बेसिस पर 15 % यह वाजिब टारगेट हैं। यानी के अगर हम RS. 1 लाख लगाते हैं तो हमें महीने की RS. 15,000 की इनकम हो सकती हैं। 


    स्टॉक मार्केट चर्निंग कौन-से शेयर्स में करनी चाहिए ? 

    इसमें कोई रॉकेट साइंस नहीं होता हैं। इसके लिए हम सर्च करेंगे, म्यूच्यूअल फंड टॉप 100 होल्डिंग। इस लिस्ट में से पहले 10 शेयर्स में एचडीएफसी बैंक होगा, रिलायंस होगा, एसबीआई होगा, एलएनटी इस तरह के शेयर में से एक को चुनना हैं। 

                स्टॉक मार्केट में बढ़ रहे सेक्टर के बड़ी कंपनियों के शेयर को ट्रैक करना है। जो शेयर हफ्ते में दो बार, तीन बार बढ़कर क्लोज हो रहे हैं। ऐसे शेयर्स में से एक शेयर चुनकर उसमें खरीददारी करनी हैं। यह हमारी डिलीवरी बायिंग की पोजीशन होगी। खरीदे हुए शेयर हमारे डिमैट अकाउंट में आ जाएंगे। 


    स्टॉक मार्केट चर्निंग के विशेष फायदें 


    1) हमने शेयर्स खरीद लिये और वह लगातार बढ़ते जाए 

    हमने चर्निंग के जरिए पैसे कमाने के लिए डिलीवरी बायिंग की। यह शेयर्स अब हमारे डिमैट अकाउंट में हैं। स्टॉक मार्केट में तेजी बन रही है। ऐसे में हमारे शेयर्स भी बढ़ते जाएंगे यानी के, "आम के आम और गुठलियों के दाम। " इस तरह से पैसा कमाने के लिए हमें कुछ नहीं करना हैं। यह तो हमारे लिए स्टॉक मार्केट कर देता हैं।  

    2) हमने शेयर बेचा वह बढ़ने लगा

    अरे हां ऐसा तो हमारे साथ कई बार होता है। ठीक कहा ना ? चलो मान लो, हमने डिलीवरी पोजीशन ली है। हमारे पास 200 क्वांटिटी पड़ी है। शेयर गैप अप ओपन होता हैं। और इसमें से 100 कॉन्टिटी हम बेचते हैं। यानी के हमने इंट्राडे के नजरिये से देखा जाए तो शॉर्ट सेलिंग की पोजीशन बनाई है। 

                कुछ ही देर बाद शेयर में तेजी बढ़ जाती हैं। ऐसे में हमने जो 100 शेयर्स बेचे हैं। उन्हें वापस खरीदना नहीं है। यह दी डीमैट से कम हो जाएंगे। गैप अप ओपनिंग होने के कारण उन 100 शेयर्स में हमने मुनाफा बुक कर लिया हैं। और 100 क्वांटिटी हमारे पास अभी भी है। अब जो बढ़त आ रही है उसका हमें 100 शेयर्स में मुनाफा मिलता रहेगा। और रही बात 100 शेयर्स की उन्हें हम अगले दिन अवसर देखकर खरीद लेंगे। 


    हमने शेयर्स बेचा और वह लगातार गिरने लगा

    चलो ऊपर के उदाहरण में हमने 100 शेयर बेचे और वह लगातार नीचे जाने लगा। मान लो, हमने 100 क्वांटिटी सेल की हैं और शेयर के भाव लगातार गिरने लगे। तो बेचे हुए शेयर्स को, प्रॉफिट में ट्रेलिंग स्टॉप लॉस लगाकर दिन भर के लिए छोड़ देना हैं। 

                क्लोजिंग होते होते, वह 100 क्वांटिटी वापिस खरीद लेनी है। इस तरह से हमें इंट्राडे में प्रॉफिट हो जाएगा। और 200 क्वांटिटी कि हमारी डिलीवरी हम साथ लेकर चलेंगे। हमने रिसर्च करके स्ट्रॉन्ग शेयर चुना हैं। जोकि साल भर में अच्छा कमा के देगा ही। चर्निंग करके हम उसके गिरावट का भी लाभ उठा सकते हैं। 


    चर्निंग में आने वाली विशेष रिस्क

    हमने डिलीवरी में शेयर्स खरीद लिये और वह लगातार गिरते जाए। इस तरह से तो हम Stock Market % Game में फँस सकते हैं। इससे बचते-बचाते काम करना हैं। 

    हमने शेयर्स बेचे और वह लगातार बढ़ते जाए। 

    हमने शेयर बेचा वह स्टॉप लॉस हिट करके गिरने लगा। 

    हमने शेयर ख़रीदा वह स्टॉप लॉस हिट करके बढ़ने लगा। 

                ऐसी विशेष रिस्क की मौजूदगी ही प्रॉफिट कमाने की प्रोसेस में एक्साइटमेंट को बनाए रखती हैं। इसपर हम सभी सहमत हो सकते हैं। 


    स्टॉक मार्केट चर्निंग के बारे में हमने यह जाना 

    स्टॉक मार्केट में डिमैट अकाउंट में शेयर्स रखकर, उसी शेयर्स में हर दिन इंट्राडे ट्रेडिंग करने की स्ट्रेटेजी को चर्निंग कहते हैं। चर्निंग करने के लिए टॉप इंडेक्स के, मजबूत शेयर्स चुनने चाहिए। 

                इससे पोजीशन में रखे शेयर्स के भाव ज्यादातर बार ऊपर ही रहते हैं। और इंट्राडे ट्रेडिंग में प्रॉफिट और लॉस के कैलकुलेशन में प्रॉफिट ज्यादा निकल कर आता हैं। स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने का यह एक बढ़िया तरीका हैं। हम सभी को यह जरूर ट्राई करना चाहिए। 


    उपयुक्त जानकारी

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    स्टॉक मार्केट चर्निंग के FAQ's

    1) स्टॉक मार्केट चर्निंग कैसे करें ?

    स्टॉक मार्केट में, शेयर की डिलीवरी पोजीशन लेकर उसी शेयर को हर दिन सेलिंग बायिंग करके चर्निंग की जाती हैं।

    2) स्टॉक मार्केट में चर्निंग क्यों करनी चाहिए ?

    चर्निंग में इंट्राडे ट्रेडिंग का लॉस बुक नहीं करना पड़ता। इसलिए स्टॉक मार्केट में चर्निंग करनी चाहिए।

    3) स्टॉक मार्केट में चर्निंग करने के लिए क्या करना चाहिए ?

    स्टॉक मार्केट चर्निंग में डिलीवरी पोजीशन लेने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस और इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए टेक्निकल एनालिसिस करना चाहिए।

    4) स्टॉक मार्केट में चर्निंग करने के लिए कितना कैपिटल चाहिए ?

    स्टॉक मार्केट में चर्निंग करने के लिए Rs. 50,000 से 2 लाख तक का कैपिटल चाहिए।

    5) क्या स्टॉक मार्केट ब्रोकर को चर्निंग करने देना चाहिए ?

    नहीं, स्टॉक मार्केट ब्रोकर को चर्निंग करने देना यह इल-लीगल एक्टिविटी मानी जाती है।

    6) स्टॉक मार्केट चर्निंग कौन-से शेयर्स में करनी चाहिए ?

    स्टॉक मार्केट के प्रमुख इंडेक्स निफ़्टी के शेयर्स में चर्निंग करनी चाहिए।

    7) स्टॉक मार्केट चर्निंग की सबसे बड़ी विशेषता क्या है ?

    स्टॉक मार्केट चर्निंग के जरिए शेयर्स में डिलीवरी पोजिशन और इंट्राडे ट्रेडिंग इन दोनों तरीकों से पैसे कमा सकते हैं।

    8) स्टॉक मार्केट चर्निंग में बड़ी जोखिम क्या है ?

    अगर शेयर्स की डिलीवरी पोजिशन में बड़ा लॉस होता है तो चर्निंग से पैसा कमाना मुश्किल होता हैं।

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