दोस्तों, आज हम यहाँ पर मिलकर, "स्टॉक मार्केट में ROC इंडिकेटर का उपयोग कैसे करते है ?" इसके बारे में जानकारी लेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
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Stock Market Indicator Rate of Change in Hindi. |
"ROC का फुल फॉर्म प्राइस रेट ऑफ चेंज है।" यह स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस का इंडिकेटर है। इसके जरिए चार्ट पर ट्रेंड का चेंज होना समझा जाता है। और कोई ट्रेंड कहाँ तक जा सकता है यह गोल्डन रेश्यो से समझा जाता है। यह बात हम सभी को मालूम है।
प्राइस रेट ऑफ चेंज क्या है ?
यहां पर हम प्राइस रेट ऑफ चेंज का मतलब जानेंगे। जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है, इसमें प्राइस के चेंज के बारे में जानकारी होती है। और इस चेंज के रेट के बारे में जानकारी होती हैं। यह चेंज कालावधि को सिलेक्ट करके निकालते है।
आसान भाषा में कहा जाए तो शेयर प्राइस के गति का दर और ट्रेंड में हो रहा बदलाव इस इंडिकेटर के द्वारा दर्शाया जाता है।
"ROC याने की शेयर में चल रहे ट्रेंड की गति और बदलाव दर्शाने वाला इंडिकेटर।"
ROC याने के चार्ट के नीचे जीरो के ऊपर और नीचे होने वाली लाइन होती है। इसके जरिए हम शेयर प्राइस में चल रहे बढ़त और गिरावट की गति को समझ सकते हैं। और इस बढ़त और गिरावट का ट्रेंड कब बदलने वाला है, इसके बारे में भी जानकारी हासिल कर सकते हैं। ठीक है ?
रेट ऑफ़ चेंज ROC का महत्व
ROC इंडिकेटर के उपयोग से हमें शेयर में बन रही ओव्हर बायिंग पोजीशन और ओव्हर सेलिंग पोजीशन का पता चलता है। यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह हम सभी अच्छी तरह से जानते है। इससे सपोर्ट और रेजिस्टेंस किन लेवल्स पर बन रहे है की यह पता लगता है।
इसके साथ ही ROC इंडिकेटर डायवर्जेंस के बारे में पता चलता है। और सेंट्रल लाइन क्रॉस ओवर के बारे में पता चलता है। इस जानकारी के साथ हम स्टॉक मार्केट प्री मॉर्टम एनालिसिस कर सकते है। और स्टॉक मार्केट में अपना परफॉर्मेंस बेहतर कर सकते हैं।
ROC Formula
अब हम समझ गए हैं कि, प्राइस रेट ऑफ चेंज इंडिकेटर क्या है ?अब हम इसका फार्मूला भी समझ लेते हैं।
ROC = शेयर की आज की क्लोजिंग प्राइस - विशिष्ट अवधी (n ) से पहले वाली शेयर की प्राइस / विशिष्ट अवधी (n ) से पहले वाली शेयर की प्राइस × 100
इस फॉर्म्युले में टुडे क्लोजिंग प्राइस लेते है। और विशिष्ट कालावधि को तय करके शुरूआती दिन की क्लोजिंग प्राइस लेते है। इन क़ीमतों को फॉर्म्युले में डालते है।
ROC कैसे निकलते है ?
दोस्तों, यह हम उदाहरण के माध्यम से जानेंगे। यहां पर एसबीआई बैंक के शेयर का 20 डेज का ROC कैसे निकालते हैं यह समझते हैं।
स्टेप 1
तो सबसे पहले हम एसबीआई की बैंक के शेयर की टुडे क्लोजिंग प्राइस लेते हैं। फ्राइडे 2 सितंबर 2022 की एसबीआई के शेयर की क्लोजिंग प्राइस Rs. 536.70 है।
स्टेप 2
20 दिन पहले याने के 2 अगस्त 2022 को, एसबीआई बैंक के शेयर की प्राइस Rs. 542 रही है हम इस प्राइस को ROC निकालने के लिए सिलेक्ट करते हैं।
स्टेप 3
अब इन प्राइजेस को फॉर्मूला में डालते हैं।
SBI 20 Days ROC = 536.70 - 542 / 542 × 100 = -0.98
SBI 20 Days ROC = -0.98
यहां पर ROC इंडिकेटर एक के नीचे हैं। इसका मतलब यह निकल कर आता है कि, एसबीआई के शेयर में पिछले 20 दिनों में "ROC के अनुसार गिरावट का माहौल रहा है।" अगर हम एसबीआई के चार्ट को बारीकी से देखते हैं तो यह बात स्पष्ट हो जाती है।
हालांकि 29 अगस्त 2022 से 2 सितंबर 2022 तक के एसबीआई के चार्ट पर बढ़िया तेजी देखने को मिली है। और इस कारण से एसबीआई का ROC निचे से सुधर रहा है। यह ROC जैसे ही एक के ऊपर निकलता है एसबीआई के शेयर प्राइस में "ROC के अनुसार तेजी का ट्रेंड" बनता हुआ दिखाई दे सकता है।
ROC कालावधी सेट अप की महत्वपूर्ण बात
दोस्तों, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए की, हम एसबीआई के चार्ट पर ROC 20 लगाकर देखेंगे तो यह मालूम होता है की, "ROC इंडिकेटर कॅंडल स्टिक चार्ट के अनुसार अपनी वैल्यू बदलता है।" जैसे की अगर हम 2 घंटों का चार्ट लेते है तो ROC 20 यह + 3 की वैल्यू दिखाता है।
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Stock Market Indicator Rate of Change on SBI 2 hour Chart. |
यहीं पर अगर हम 1 घंटे का कॅंडल स्टिक चार्ट लेते है तो ROC 20 यह + 1.66 की वैल्यू दिखाता है। इस तरह से जब हम एसबीआई का 1 डे चार्ट लेते है, "तब ROC 20 यह - 98 की वैल्यू दिखाता है।"
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ROC Indicator on SBI 1 Day Chart. |
तो कालावधी के अनुसार सही टाइम-फ्रेम वाला चार्ट लेना भी जरुरी होता है। यह बात हमेशा जहन में रखनी चाहिए। ठीक है ?
और तो और हमें ट्रेडिंग के लिए ROC का उपयोग करना है तो हमें 7,8 या 9 इन कालावधी का ROC का सेट अप करना चाहिए। इसके लिए -
1 ) पहले अपने चार्ट के टाइम-फ्रेम को लेना है।
2 ) ROC फॉर्म्युला यूज़ करके ROC निकालना है।
3 ) चार्ट पर निचे दिख रही ROC की वैल्यू और फॉर्म्युले से निकली वैल्यू काफी हद तक समान होनी चाहिए।
इस प्रकार से चार्ट पर ROC इंडिकेटर का सेट अप करना चाहिए।
ROC को कैसे समझे ?
ROC इंडिकेटर के सेंटर में जीरो की लाइन होती है। ROC इंडिकेटर लाइन के अनुसार सिग्नल को दर्शाता है। जब ROC इंडिकेटर शेयर के प्राइस के साथ जीरो के ऊपर बढ़ रहा हो तो इसे तेजी का संकेत माना जाता है। और जब ROC इंडिकेटर निगेटिव में जाता है, तब शेयर की प्राइस में गिरावट हो सकती है ऐसा संकेत माना जाता है।
स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस में, किसी शेयर में चल रही एक्टिविटी की गति को समझना महत्वपूर्ण होता है। जब किसी शेयर में तेजी का माहौल होता है, तो शेयर की कीमतें ज्यादा गति से बढ़ रही होती है। ऐसे में ROC इंडिकेटर जीरो के ऊपर बढ़त दर्शाता है।
जब यह तेजी का ट्रेंड खत्म होकर मंदी का ट्रेंड शुरू होने वाला होता है। तब सबसे पहले तेजी की गति कम होती है। और यही बात ROC इंडिकेटर दर्शाता है। इस वक्त इंडिकेटर, जीरो के काफी ऊपर हो सकता है। लेकिन वहां से नीचे की तरफ का रुख करना शुरू कर देता है।
"ट्रेंड कोई भी चल रहा हो, उसमे बदलाव होने पहले उसकी गति कम हो जाती है। यह ROC के द्वारा समझा जा सकता है।"
ROC इंडिकेटर के बारे में हमने यह जाना
ROC इंडिकेटर के बारे में हमने यह जाना की यह इंडिकेटर शेयर्स में चल रही खरेदी - बिक्री की एक्टिविटी के गति के ऊपर चलता है। ROC इंडिकेटर तेजी की और मंदी की गति दर्शाता है।
और ROC इंडिकेटर के बारे में हमने यह जानना कि, इसमें कालावधी अगर कम रखते हैं तो यह इंडिकेटर बहुत ही ज्यादा सेंसिटिव इंफॉर्मेशन क्रिएट करता है। इस कारण से इसमें कई सारे फेक सिग्नल्स भी हो सकते हैं। "यदि हम पर्याप्त कालावधी रखते हैं, तो यह इंडिकेटर पर्याप्त सही सिग्नल मुहैया करता है।" लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो यह इंडिकेटर अच्छा होता है। क्योंकि लंबे समय के लिए यह इंडिकेटर काफी हद तक सही सिग्नल प्रोवाइड करता है।
उपयुक्त जानकारी
स्टॉक मार्केट इंडिकेटर ATR की जानकारी।
VWAP इंडिकेटर क्या है ? Vwap इंडिकेटर इन द स्टॉक मार्केट।
ROC Indicator FAQs
1) क्या ROC इंडिकेटर ट्रेडिंग के लिए अच्छा है ?
जी हाँ। ROC इंडिकेटर से, ट्रेडर को यह पता चलता है कि ट्रेंड में बदलाव होने वाला है। ज्यादा अवधि का ROC सेट अप करके ट्रेंड को समज़ना है। और उसके अनुसार ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनानी है।
2) क्या ROC इंडिकेटर यह प्रमुख इंडिकेटर है ?
जी हाँ। स्टॉक मार्केट में लंबी अवधि के निवेश करने के लिए ROC इंडिकेटर का अच्छा उपयोग होता है।
3) क्या ROC इंडिकेटर फेक सिग्नल उत्पन्न करता है ?
स्टॉक मार्केट का हर एक इंडिकेटर फेक सिग्नल प्रोवाइड करते ही हैं। ROC भी इनमें से एक है। बहुत छोटी अवधि के लिए ROC का उपयोग करते वक्त इस तरह की सिचुएशन बनती है।
4) ROC की स्ट्रैटेजी क्या होती है ?
ROC की स्ट्रैटेजी यह होती है कि, जब ROC की लाइन 0 से ऊपर जाने लगती है तब अपवर्ड ट्रेंड और जब ROC की लाइन 0 से निचे जाने लगती है तब डाउनवर्ड ट्रेंड बनता है।
5) ROC की लाइन ज़ीरो के आसपास हो तो क्या निष्कर्ष निकाला जाता हैं ?
ROC की लाइन जीरो के आस-पास हो तो हो कंसोलिडेशन का निष्कर्ष निकाला जाता हैं।
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