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स्टॉक मार्केट के संदर्भ में रिजर्व बैंक की पॉलिसी को कैसे पढ़े ?


            दोस्तों, जैसा कि हम सभी जानते हैं की, रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया अपनी आर्थिक निति के जरिए अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण करती है। ताकि अच्छी ग्रोथ हासिल की जाए। हम स्टॉक मार्केट में काम करते है। इसलिए, हमारे लिए यह महत्वपूर्ण होता है कि हम यह समझे कि, स्टॉक मार्केट के संदर्भ में रिजर्व बैंक की पॉलिसी को कैसे पढ़े ?

RBI Policy
Know RBI Policy in Hindi.

            "इंटरेस्ट रेट याने की ब्याज दर रिजर्व बैंक के नियंत्रण में होता है। इस नियंत्रण का इस्तेमाल करके रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ाकर, घटाकर या फिर बिना बदलाव के रख कर कैश फ्लो को नियंत्रित करती है।"

            ऐसा करने के पीछे कई सारे उद्देश्य होते हैं। और रिजर्व बैंक के पास कई सारे इंस्ट्रूमेंट्स होते हैं जिनके जरिए रिजर्व बैंक ऐसा कर पाती है। तो आइए, आज हम मिलकर यहां पर यह समझने की कोशिश करते हैं कि रिजर्व बैंक के मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान करने के पीछे कौन-कौन से मकसद होते है। और आगे बढ़कर हम यह भी जानेंगे कि रिजर्व बैंक ऐसा किस तरह से करती है। तो चलिए शुरुआत करते है।

     

    मॉनिटरी पॉलिसी के उद्देश्य 

                मॉनिटरी पॉलिसी के उददेश्यों को समज़ना आवश्यक होता है। क्योंकि इस समझ से स्टॉक मार्केट में अपना इन्व्हेस्टमेंट और ट्रेडिंग परफॉर्मन्स बेहतर होने की संभावना बढ़ जाती है।

    महंगाई पर काबू करना 

    रिजर्व बैंक पॉलिसी लाती है इसका सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है कि बढ़ती हुई महंगाई पर नियंत्रण रखा जाए। रिजर्व बैंक, बैंकों द्वारा दिए जाने वाले लोन के ब्याज दर बढ़ाती है। ब्याज दर महंगे होने के कारण लोग बैंकों से कम से कम लोन लेंगे। इससे अर्थव्यवस्था में चलन पुरवठा नियंत्रित होगा। चलन पुरवठा कम होने के कारण लोगों के हाथों में कम पैसे आएंगे। ऐसे में लोग सोच समझकर खर्च करेंगे। इस तरह से महंगाई पर नियंत्रण आ जाता है।

    कीमतों को स्थिर रखना

    मॉनिटरी पॉलिसी की यह सबसे बढ़िया खासियत होती है कि रिजर्व बैंक अपने तमाम इंस्ट्रूमेंट को यूज करके, इनका सेट-अप करके,चीजों के और सर्विसेस की कीमतें बिना बदलाव के सुचारू ढंग से कायम रखती है। इससे अर्थव्यवस्था में निश्चितता आती है। प्रोडक्शन करने वालों से लेकर एन्ड यूजर तक सारे अपना बजट बना सकते है।

    एफिशिएंसी क्रिएट करना

    रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए अर्थव्यवस्था में सक्षमता लाने की कोशिश करती है। इस एफिशिएंसी का यह मकसद होता है कि हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहे। ताकि बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होता रहे। भविष्य में बढ़ने वाली जरूरतों को पूरा करने की सक्षमता प्राप्त करना बहुत महत्व रखता है। 

    अर्थव्यवस्था को डायरेक्शन देना

    आर्थिक निति जाहिर करने का यह भी एक मकसद होता है की अर्थव्यवस्था के सारे घटक इसे पढ़ें और अनुसरण करें। इससे पूरी इकोनॉमी को डायरेक्शन मिलती है। और एक दिशा में किए गए कामों की वजह से अच्छे परिणाम प्राप्त होते है। 

    फिक्स इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देना 

    रिज़र्व बैंक अपने आर्थिक निति के जरिए निवेशकों में भरोसा निर्माण करतीं है। इससे अर्थव्यवस्था में फिक्स इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलता है। फिक्स इन्वेस्टमेंट से पायाभूत सुविधाओं का विकास होता है। इससे पूरी इकोनॉमी को फायदा पहुंचता है। 

    लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लक्ष्य 

    लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लक्ष्य की तरफ लगातार आगे बढ़ना यह महत्वपूर्ण होता है। ताकि हमारी अर्थव्यवस्था में तरक्की के अवसर प्राप्त हों। इसके लिए रिज़र्व बैंक अपने लक्ष्य तय करती है। यह महंगाई पर कन्ट्रोल करने के बारें में होतें है। और जी. डी. पी. के ग्रोथ के बारें में होतें है। 

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    मॉनिटरी पॉलिसी के इंस्ट्रूमेंट्स

    कैश रिजर्व रेश्यो 

                इसे CRR भी कहा जाता है। 

    स्टेट्यूटरी लिक्विडिटी रेश्यो 

                इसे SLR भी कहा जाता है। 

    रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट 

    बैंक रेट की निति 

    ओपन मार्केट में ऑपरेशन्स   

    क्रेडिट सीलिंग 


    यहाँ हम लेटेस्ट मॉनिटरी पॉलिसी उदाहरण के तौर पर लेते है। और समज़तें है की इसे स्टॉक मार्केट के संदर्भ में कैसे पढ़े। ठीक है ? तो आइए शुरू करतें है। 

    मॉनिटरी पॉलिसी ऑन 10 फरवरी 2022

                 रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी ऑन 10 फरवरी 2022 आ गई है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी। इस पॉलिसी की खासियत यह है कि जीडीपी ग्रोथ का टारगेट 7.8 % रखा है। 

                    इस पॉलिसी की और एक खासियत यह है कि लगातार दसवीं बार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में बिल्कुल भी बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बिना किसी बदलाव के 4 % पर अनचेंज्ड रखा है। यह सिलसिला 2020 के मई से शुरू हुआ है। और तब से लेकर इस पॉलिसी तक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई भी बदलाव करने से अच्छा इसे कंटिन्यू करना अच्छा समझा है। इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बरकरार रखा है। 


    महंगाई पर काबू करना 

    रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास का यह मानना है कि पेंडेमिक के असर के बाद इकोनामी में महंगाई बहुत बढ़ गई है। इस पर काबू करने के लिए रिजर्व बैंक पूरी तरह से कोशिश कर कर रही है। रिजर्व बैंक ने महंगाई दर को काबू करके 2023 तक 4.5 % करने का टारगेट सेट किया है। इसी के चलते रिजर्व बैंक ने इकोनामी की परिपूर्ण रिकवरी के लिए यह मॉनिटरी पॉलिसी बनाई है।


    वॉलंटरी रिटेंशन स्कीम

    रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी में महत्वपूर्ण घोषणा - वॉलंटरी रिटेंशन स्कीम पहले 1.5 लाख करोड़ की योजना थी। उसे बढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ किया गया है। इससे डेट मार्केट और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के लिए एडिशनल कैपिटल का सोर्स बनेगा। 


    चालू खाता घाटा (करंट अकाउंट डिफिसिएट)

    चालू खाता घाटा 2022 के फाइनेंसियल ईयर के जीडीपी के 2% से नीचे देखा गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया गवर्नमेंट बोरोइंग प्रोग्राम को अच्छे तरीके से संचालित करने के लिए प्रतिबद्ध है। ई वाउचर की सीमा पहले Rs. 10000 की थी वह बढ़ाकर Rs.100000 कर दी गई है।


    आरबीआई ऑन जीडीपी ग्रोथ 

    आरबीआई का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तीसरे पेंडेमिक वेव में है। इसका असर 2023 की जीडीपी पर दिख सकता है। शक्तिकांता दास का यह मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी जैसे कि कच्चा तेल की कीमतों में होने वाला उतार-चढ़ाव और होने वाली लगातार बढ़त के कारण हमारे अपनी अर्थव्यवस्था की आउटलुक का जोखिम बढ़ सकता है। इसके साथ ही घरेलू खपत और मांग अपने महंगाई के पिछले स्तर से आगे बढ़ रही है। इससे महंगाई बढ़ सकती है। और इसका जीडीपी के ऊपर असर हो सकता है।

                इन सब कारणों के चलते रिजर्व बैंक ने फाइनेंसियल ईयर 2023 का जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.8 % तय किया है। रिजर्व बैंक को ऐसी उम्मीद है कि सरकार निर्यात और कैपिटल खर्चों पर जोर देगी। इससे उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और कुल मांग भी बढ़ेगी। और इससे निजी निवेश भी आगे आएगा और इकोनॉमी में वृद्धि बढ़ेगी।


    मॉनिटरी पॉलिसी ऑन 8 फरवरी 2023

    लगातार छठी बार RBI की मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में बढ़ोतरी हुई है। आइए जानते हैं, आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी की विशेष बातें। 

    रेपो रेट में 0.25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी हुई। 

    इससे रेपो रेट 6.25 % से बढ़कर 6.50 % हो गया है

    भारतीय बैंकों के पास पर्याप्त लिक्विडिटी है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई का असर कायम है। महंगाई का विषय इंटरनेशनल लेवल पर चिंता पैदा कर रहा है। आगे महंगाई और बढ़ने का अनुमान है। 

                शहरी इलाकों में डिमांड में सुधार देखने को मिला है और ग्रामीण इलाकों में डिमांड में धीरे-धीरे सुधार जारी है। हरे क्षेत्र में निवेश में तेजी देखने को मिल रही है। उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए नेशनल और इंटरनेशनल जोखिम बढ़ रही है। 

                देश की जीडीपी ग्रोथ 7.2% पर बरकरार है। जीडीपी में FY 23 में बढ़त देखने को मिल सकती है। 

                वेनसडे 8 फरवरी 2023 को, प्रसिद्ध किए गए आरबीआई के मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में फिर एक बार बढ़ोतरी हुई है। इस वजह से फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर लिए गए लोन्स की ईएमआई बढ़ सकती है। इसके साथ ही बैंकों में रखे जाने वाले सेविंग्ज़ के इंटरेस्ट के दरों में भी बढ़ोतरी हो सकती है। इन दोनों वजहों से पैसा बैंकों के पास इकट्ठा हो जाएगा इससे अर्थव्यवस्था से पैसा कम हो जाएगा। और "महंगाई पर काबू" पाया जा सकता है। 


    मॉनिटरी पॉलिसी ऑन 10 ऑगस्ट 2023

    इस बार RBI की मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आइए जानते हैं, आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी की विशेष बातें। 

    इससे रेपो रेट 6.50 % पर कायम है। 

    हमारी इकोनॉमी में ग्रोथ बरक़रार है और हमारा फोकस महंगाई को काबू करने पर है। ऐसा आर आय बी गव्हर्नर शक्तिकांता दास का कहना है। 

    10 ऑगस्ट 2023 के पॉलिसी के अनुसार, नीतिगत दरें 

    रेपो रेट 6.50 %

    रिवर्स रेपो रेट 3.50 %

    MSF बैंक रेट 6.75 %


    महत्वपूर्ण जानकारी 

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    हमने यह जाना 

                "आर बी आय की मॉनिटरी पॉलिसी हमारे अर्थव्यवस्था को विकास की दिशा देती है।" इससे उपलब्ध संसाधनों का महत्तम उपयोग होता है। इस पॉलिसी से अर्थव्यवस्था के सभी घटकों को लाभ होता है। आर बी आय चलन निर्मिती के साथ-साथ उसपर नियंत्रण रखती है। इससे चलन का मूल्य कायम करना मुमकिन होता है। 



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