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स्टॉप लॉस कितना होना चाहिए ? Trailing Stop Loss क्या होता है ?


दोस्तों, यहाँ पर हम मिलकर यह जानने की कोशिश करेंगे कि, स्टॉप लॉस कितना होना 
चाहिए ? Trailing Stop Loss क्या होता है ? इसमें स्टॉप लॉस कैसे लगाएं ? ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस कितना होना चाहिए ? इन्वेस्टमेंट के लिए स्टॉप लॉस कितना होना चाहिए ? 
            ट्रेलिंग स्टॉप लॉस क्या होता है ? स्टॉप लॉस ऑर्डर बायिंग कैसे करें ? स्टॉप लॉस ऑर्डर सेलिंग कैसे करें ? यह जानकारी लेंगे। इसके साथ ही स्टॉप लॉस की स्ट्रेटेजी भी जानेंगे। तो आइए शुरू करते हैं। 
Stock Market Stop Loss.
Stop Loss in the Stock Market.
 
            Stock Market में काम करने वालों के लिए स्टॉप लॉस क्या है ? यह जानना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह हमारे रणनीति का अभिन्न अंग हैं। इसपर हम सभी सहमत हो सकते है। 


    स्टॉप लॉस का अर्थ


    डेफिनेशन - स्टॉप लॉस

    1 ) स्टॉप लॉस याने कि, ट्रेडिंग और इन्व्हेस्टमेंट करते वक्त हम कितनी रिस्क ले सकते है यह तय करना होता है। 
    2 ) स्टॉप लॉस लगाना याने कि, स्टॉक मार्केट में नुक़सान को नियंत्रित करना। सही है ? यह सुविधा अपने ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर और ऍप में होती है।
                स्टॉप लॉस की डेफिनेशन स्टॉक मार्केट की शब्दावली में भी उपलब्ध है। 

    स्टॉप लॉस का महत्व

    1 ) स्टॉक मार्केट में अपने ओवरऑल परफॉर्मन्स को प्रॉफिटेबल बनाने के लिए स्टॉप लॉस बहुत ही उपयोगी साबित होता है। 

    2 ) स्टॉप लॉस के नियमित उपयोग से हम रिस्क रिवार्ड रेश्यो को अपने आप इस्तेमाल करते जाते है। इस तरह से यह हमारे सक्सेस का इम्पोर्टेन्ट फॅक्टर बन जाता है। 

    3 ) लिमिट ऑर्डर से खरीदते वक्त बायिंग प्राइस, करन्ट प्राइस से निचे वाली लगानी होती है। ब्रेकआउट के ऊपर खरेदी करने के लिए करंट प्राइस से ज्यादा वाली लिमिट प्राइस डालेंगे तो वह ऑर्डर मार्केट ऑर्डर के जैसे ही चालू कीमत पर पूरी हो जाएगी। इसलिए भी स्टॉप लॉस ऑर्डर महत्वपूर्ण होती है।

    4 ) स्टॉप लॉस यह प्रॉफिटेबल ट्रेडिंग के लिए मरहम पट्टी की तरह काम करता है। स्टॉप लॉस और भी ज्यादा हेल्पफुल तब होता है जब वह चार्ट फॉरमेशन के अनुसार लगाया जाए। 


    स्टॉप लॉस कैसे लगाए ?

                "स्टॉप लॉस, लिमिट ऑर्डर से और मार्केट ऑर्डर से लगा सकते है।" कुछ ट्रेडिंग सोफ्टवेअर्स में सिर्फ लिमिट ऑर्डर वाला स्टॉप लॉस ऑर्डर लगा सकते है। स्टॉक मार्केट में इन्व्हेस्टमेंट किया है तो हमें किसी विशेष दिन को स्टॉप लॉस ऑर्डर लगानी पड़ सकती है। ऐसे वक्त हम C.N.C. (डिलीवरी) में स्टॉप लॉस लगाना होता है। इस पर हमें गौर करना चाहिये। 

                अगर M.I.S. (इंट्राडे) ऑर्डर से लगाएंगे तो उस ऑर्डर से इंट्राडे में शॉर्ट सेल की पोजीशन बन जाएगी। और वह 3:20 pm पर वापिस बायिंग होकर पूरी हो जाएगी। और अगले दिन हम सोचते रहेंगे की कल ही तो हमारा स्टॉप लॉस उड़ा था याने की हिट हुआ था। फिर भी शेअर्स डी-मॅट में दिख रहें है। और एक इंट्राडे ट्रेड दिख रहा है जो की हमने किया ही नहीं। सही है?  

                ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस की ऑर्डर, M.I.S. (इंट्राडे) सिलेक्ट करके लगानी होती है। हमने इंट्राडे के लिये M.I.S. ऑर्डर से शेअर्स खरीदें है। और अगर हम C.N.C. (डिलीवरी) में सेलिंग स्टॉप लॉस लगाएं तो वह काम नहीं करेगा। और हम सोचेंगे की यह मेरे साथ क्या हो रहा है। लेकिन जब हम C.N.C. (डिलीवरी) में शेअर्स खरीदते है तब C.N.C. में स्टॉप लॉस लगाने पर वह सही से काम करेगा।

      

    स्टॉप लॉस कितना होना चाहिए ?

                तो आइये अब जानते हैं कि, इन्व्हेस्टमेंट के लिये और ट्रेडिंग के लिये स्टॉप लॉस कितना होना चाहिए ?
     

    इन्व्हेस्टमेंट के लिये स्टॉप लॉस

                इन्व्हेस्टमेंट हम लॉन्ग टर्म के लिये करते है। इन्व्हेस्टमेंट के शुरूआत में इसमें शेअर के व्होलॅटिलिटी के हिसाब से 10% तक का स्टॉप लॉस रख सकते है। समय के साथ शेयर की कीमत बढ़ती जाती है तब हम 20% तक का स्टॉप लॉस लगा सकते है। 

                सही तरिके से "फंडामेंटल एनालिसिस" करके इन्व्हेस्टमेंट की जाए तो लम्बे वक्त में हमें अच्छा मुनाफा हो सकता है। और कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करके कुछ दिनों या हप्तों के लिये की जाने वाली स्विंग ट्रेडिंग के लिये हम 10% तक का स्टॉप लॉस लगा सकते है। 

    उदाहरण 

                X कंपनी के 100 शेअर्स हमने Rs.500 पर इन्व्हेस्टमेंट के लिए खरीद लिये है। हमारा टोटल Rs.50000 लगा। 10 % का स्टॉप लॉस Rs.5000 बनता है। शेअर की कीमत के हिसाब से Rs.500 का 10 % Rs.50 होता है। तो हम Rs.450 के आसपास का स्टॉप लॉस लगाएंगे। 

                शेअर की कीमत बढ़कर, Rs.600 होने पर हमने 20 % का स्टॉप लॉस लगा दिया। इन्व्हेस्टमेंट को हम हर दिन देखते नहीं बैठ सकते है। इसलिये अच्छा-ख़ासा स्टॉप लॉस लगाकर हम रिलॅक्स हो सकते है। और हप्ते, दस दिनों में उसपर नजर डालकर परफॉर्मन्स देख लेने से काम चल जाता है। ठीक है ? 

     

    ट्रेडिंग के लिये स्टॉप लॉस

                इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये जितना कम स्टॉप लॉस लगाएंगे। उतना अच्छा माना जाता है। यह एक कला है जो अनुभव के साथ विकसित होती है। इसी लिए ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस का महत्व होता है। इसमें शेयर के चार्ट का एनालिसिस किया जाता है। शेयर ट्रेडिंग में कम से कम 1 % और ज्यादा लगाना हो तो 2.5 % का स्टॉप लॉस लगा सकते है। यह रिस्क रिवार्ड के अनुसार करना है। 

    उदाहरण   

                Y कंपनी के शेअर कीमत Rs.400 है। 100 शेअर्स हमने इंट्राडे ट्रेडिंग के लिये है। हमने टोटल Rs.40,000 लगाए। यहाँ हम 1.5 % का स्टॉप लॉस लगाते है। याने की टोटल Rs.600 का लॉस। शेअर के कीमत के अनुसार Rs.394 का स्टॉप लॉस बनता है। 

    ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस

                ऑप्शन ट्रेडिंग में सही प्राइस पर इंटर करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि कम रिस्क पर ट्रेडिंग कर सकें। फ्यूचर्स अँड ऑप्शन्स में ट्रेडिंग करते वक्त हम 30 % का स्टॉप लॉस लगाकर काम कर सकते है। 

                इंट्राडे ट्रेडिंग के सौदों पर लगातार नजर रखना आवश्यक होता है। क्योंकि कभी कभी ऐसा होता है कि, हमने स्टॉप लॉस लगाया, वह ट्रिगर होकर ऑर्डर ओपन हुई। लेकिन तेज गति के मूवमेंट के कारण वह कम्प्लीट ना होते हुए पेंडिंग ऑर्डर बन गयी। ऐसी स्थिति में हमें काफी ज्यादा लॉस हो सकता है। 


    स्टॉप लॉस स्ट्रेटेजी

                ट्रेडिंग की आवश्यकता के अनुसार स्ट्रेटेजी का उपयोग करना है। चार्ट पर देखकर हम ऐसा करते है मगर एकसाथ कई चार्ट्स पर नजर रखना मुश्किल होता है। एक पर ध्यान देने लग जाये तो दूसरा दौड़ जाता है। कोई छलांग लगाता है तो कोई गोता लगा देता है। और जब तक हम उसे देखें मुव्ह निकल जाता है। है ना ? 

                तो इन मुव्हज को कैसे पकड़ा जाए। दोस्तों, हम यह कर सकते है। ऐसा करने के लिए हम स्टॉप लॉस ऑर्डर्स डाल सकते है। नहीं समझे मेरी बात? आइए इसे उदाहरण से समज़ते है।

    उदाहरण

    यहाँ पर हमने छह कम्पनीज को इंट्राडे के लिए चुना है।   

    X, Y और Z इन कम्पनीज के शेअर्स में हमें खरीददारी करनी है। और
    A, B और C इन कम्पनीज के शेअर्स में हमें सेल करना है। 

                हम हर एक शेअर का चार्ट देखकर सपोर्ट,रेसिस्टेन्स और ट्रेन्ड लाइन के अनुसार X, Y और Z इन कम्पनीज के शेअर्स में रेसिस्टेन्स के ऊपर निकलने वाली कीमतों को बायिंग स्टॉप लॉस ऑर्डर डाल कर रखेंगे। और X, Y और Z इन कम्पनीज के शेअर्स में सपोर्ट के निचे वाली कीमतों को सेलिंग स्टॉप लॉस ऑर्डर डाल कर रखेंगे। 

                अब जिन शेअर्स में हमारी ट्रिगर प्राइस हिट होंगी और ऑर्डर ओपन होकर ट्रेड बनेगा। वह हमारे उस दिन के ट्रेड होंगे। और जो ट्रिगर नहीं होंगे वह पेंडिंग रहेंगे। जिन्हे हम बाद में कॅन्सल कर देंगे। आसान हैं ?

                अब आगे बढ़ते हुए हम मिलकर, स्टॉप लॉस ऑर्डर से सेल करना और स्टॉप लॉस ऑर्डर से बायिंग करना यह समझ लेते हैं।


    स्टॉप लॉस ऑर्डर से सेल करना

    इस ऑर्डर से हम अपने पास के शेअर्स सेल कर सकते है। और इंट्राडे शॉर्ट सेल का ट्रेड भी ले सकते है। टेक्निकल एनालिसिस के अनुसार सपोर्ट के निचे दोन कामों के लिये सेल कर सकते है। आइये इन्हे जानते है। 
      

    Aबायिंग के ट्रेड का लॉस नियंत्रित करना

    बायिंग का ट्रेड लेते ही हम स्टॉप लॉस लगाते हैं। ट्रेड लेने के बाद, चार्ट पर लगाये हुए टेक्निकल सेट-अप अनुसार, शेअर की कीमत सपोर्ट के निचे जाने लगती हैं। ऐसे में हानि को मर्यादित रखने के लिये, सेल करने का स्टॉप लॉस लगाया जाता है।

    उदाहरण 

                X कंपनी के 100 शेयर्स हमने Rs.500 पर खरीद लिये। अगर शेअर निचे जाने लगे तो कहीं पर तो हमें बाहर निकलना ही पड़ेगा। इसलिए हमने Rs.494 का स्टॉप लॉस सेल ऑर्डर डाला। जिससे हमारा नुक़सान कम रहे। 

                इस ऑर्डर को सिलेक्ट करके इसमें लिमिट प्राइस Rs.494 और ट्रिगर प्राइस Rs.495 डाली। शेअर की कीमत Rs.495 पर आते ही हमारी ऑर्डर ओपन ऑर्डर में बदल जायेगी और अगर कीमत Rs.494 पर आती है तो हमारे 100 शेअर्स सेल हो जायेंगे।      


    B ) सेल का नया ट्रेड लेना

                शेअर की कीमत सपोर्ट लेव्हल के निचे जाने पर हम सेल का ट्रेड लेतें है। यह हमें ध्यान देकर समज़ना चाहिये। यह "ब्रेक डाउन सेल स्ट्रेटेजी" है। जब पूरा "Stock Market" निचे जाने लगता है या ख़राब न्यूज़ के चलते शेअर गिरने लगता है। ऐसे वक्त हम सपोर्ट के निचे शेअर्स सेल करने का नया ट्रेड लें सकते है। इस लेव्हल पर छोटा स्टॉप लॉस लगाकर काम कर सकतें है। इससे रिस्क रिवार्ड रेश्यो भी अच्छा बनता है। और हमें प्रॉफिट होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। 

                इसे शॉर्ट सेल ट्रेड भी कहा जाता है क्योंकि, हमारे पास शेअर्स ना होते हुए भी हम बेचते है। इंट्राडे में ही बायिंग करके ट्रेड पूरा करना होता है। आइए इस एक उदाहरण लेकर समज़ते है। 

    उदाहरण 

                Y कंपनी के शेअर की कीमत Rs.300 है। चार्ट पर सेलिंग का ट्रेंड बना हुआ है। सपोर्ट Rs.298 पर है। हमें इस सपोर्ट के निचे शॉर्ट सेल करना है। तो हम Rs.297.40 पर 100 शेअर्स बेचना चाहते है। ऐसे में अगर लिमिट या मार्केट ऑर्डर से एन्ट्री डालेंगे तो वह Rs.300 पर ही पूरी हो जायेगी।  
                इसलिए हम स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाकर काम करेंगे। Rs.297.80 की ट्रिगर प्राइस और Rs.297.40 की लिमिट प्राइस डालकर स्टॉप लॉस ऑर्डर से सेल का ट्रेड लेंगे।

    स्टॉप लॉस ऑर्डर से बायिंग करना

                इस ऑर्डर से हम बायिंग का ट्रेड कर सकते है। और इंट्राडे शॉर्ट सेल का ट्रेड क्लोज कर सकते है। टेक्निकल एनालिसिस के अनुसार रेजिस्टन्स के ऊपर दोन कामों के लिए खरीदने के सौदे कर सकते हैं। आइए इन्हे समज़ते है।


    A ) सेल के ट्रेड का लॉस नियंत्रित करना

    हमने किसी कंपनी के शेअर्स शॉर्ट सेल किए है। तो कीमत ऊपर जाने लगे तो हमें लॉस होता है। ऐसी स्थिती में हमें लॉस कितना होने देना है यह तय करना होता है।

    उदाहरण

                Y कंपनी के शेअर्स का भाव Rs.300 है। हमारी स्ट्रेटेजी के अनुसार, हमने 100 शेअर्स शॉर्ट सेल किए। इस ट्रेड में अगर शेअर का भाव Rs.300 के ऊपर जाने लगें तो हमें लॉस होने लगेगा। सही है ? ऐसे में हम Rs.305 का स्टॉप लॉस बायिंग ऑर्डर डालते है। 

                इसमें लिमिट प्राइस Rs.305 और ट्रिगर प्राइस Rs.304 तय करते है। शेअर का भाव Rs.304 तक बढ़ने पर अपनी ऑर्डर ओपन बायिंग ऑर्डर होती है। और Rs.305 पर 100 शेअर्स की बायिंग ऑर्डर पूरी होती है। इससे हमारा लॉस नियंत्रित होता है। 


    B ) नया बायिंग का ट्रेड लेना

    इस पर हमें गौर करना चाहिए। यह "ब्रेक आउट बायिंग स्ट्रेटेजी" है। जब पूरा Stock Market बढ़ने लगता है तब सारे शेअर्स जोरों से ऊपर जाने लगतें है। ऐसे वक्त हम क्वालिटी शेअर्स में जो कि, रेजिस्टन्स को तोड़कर ऊपर जा रहें है। इनमे ऊपरी लेव्हल पर बायिंग करना होता है। इससे रिस्क रिवार्ड रेश्यो भी अच्छा बनता है। और हमें प्रॉफिट होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। इसे उदाहरण लेकर समज़ते है। 

    उदाहरण 

    X कंपनी के शेअर की कीमत Rs.500 है। चार्ट पर बायिंग का ट्रेन्ड बना हुआ है। रेजिस्टन्स Rs.502 पर है। हम इसके ऊपर याने की Rs.502.60 पर 100 शेअर्स खरीदना चाहते है। ऐसे में अगर लिमिट या मार्केट ऑर्डर से एन्ट्री डालेंगे तो वह Rs.500 पर ही पूरी हो जायेगी। क्योंकी सेलर्स Rs.500 पर बेचने को तैयार है और हम Rs.502.60 पर खरीदना चाहते है। 
                इसलिए हम Rs.502.20 की ट्रिगर प्राइस और Rs.502.60 लिमिट प्राइस डालकर स्टॉप लॉस ऑर्डर से बायिंग करेंगे।

     

    ट्रेलिंग स्टॉप लॉस 

                दोस्तों, कई बार हमने स्टॉक मार्केट के बारे में स्टॉप लॉस बढ़ाते जाने की इंटरेस्टिंग स्टोरीज सुनी होंगी। कई बार इन्वेस्टमेंट पर स्टॉप लॉस बढ़ाते-बढ़ाते Rs.50 का शेअर Rs.100 का भी हो जाता है। इस स्ट्रेटेजी को "ट्रेलिंग स्टॉप लॉस कहते है।"


                ट्रेलिंग स्टॉप लॉस ट्रेडिंग और इन्व्हेस्टमेंट दोनों में काफी फायदेमंद साबित होती हैं। एक विशिष्ट टार्गेट आते ही अपना मुनाफा बुक करना तो महत्वपूर्ण होता ही है। मगर स्टॉक मार्केट में कई मौकों पर हम छोटा मुनाफा बुक करते है। और बाद में उस शेअर में काफी बड़ा मुव्ह आया हुआ देखते है। 
                दुबारा ट्रेड लेने को मन करता है। लेकिन तब तक कीमत इतनी बढ़ चुकी होती है की ट्रेड लेने में झिझक होती है। और लें तो भी स्टॉप लॉस काफी बड़ा लगाना पड़ सकता है। इसी लिए ऐसे खास मौकों पर, स्टॉप लॉस को आगे लेते हुए ट्रेड में बने रहना ही बढ़िया मुनाफा दिलाता है। इसे ट्रेलिंग स्टॉप लॉस स्ट्रेटेजी कहा जाता है। आइए सीधे उदाहरण लेकर समजते है। 

    उदाहरण

                Y कंपनी के शेअर्स का भाव Rs.300 है। हमने इसके 100 शेअर्स बायिंग किये है। और स्टॉप लॉस Rs.294 पर लगाया है। अब शेअर की कीमत बढ़ने लगी है। और यह Rs.305 हो गयी है। हमें यकीन है की यह ट्रेन्ड बरकरार रहेगा। तो हमने ऊपरी लेव्हल पर अपना मुनाफा लेने अच्छा यह समझा की ट्रेन्ड के साथ बने रहना है। और स्टॉप लॉस को मॉडिफाय करके Rs.301 किया। 

                शेअर में तेजी का दौर जारी है और अभी अभी उसने अपने महत्वपूर्ण रेजिस्टन्स को तोडा है। इससे और ज्यादा लोग बायिंग करने लगे है। शेअर की कीमत अब 3 % बढ़कर Rs.309 हो गयी है। अब हमने अपना स्टॉप लॉस Rs.305 किया है। आसान है ? 
                तो दोस्तों, इस तरह से अपने स्टॉप लॉस को ट्रेन्ड के साथ आगे लेकर जाने को ट्रेलिंग स्टॉप लॉस कहते हैं। ऐसा करने से हमें बड़ा मुनाफा मिलता है। टेक्निकल एनालिसिस की मदद से सही जगह स्टॉप लॉस ट्रेल करना होता है। करंट प्राइस के ज्यादा नजदीक ट्रेल करेंगे तो स्टॉप लॉस हिट हो सकता है। 

    महत्वपूर्ण जानकारी 

    FII बायिंग सेलिंग डाटा इन हिंदी। 

    स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में करियर। 

    स्टॉक मार्केट की जानकारी फ़िल्टर

    स्टॉक मार्केट फुल टाइम ट्रेडर बनने के 8 स्टेप्स। 


    हमने स्टॉप लॉस के बारें में यह जाना

                आज हमने यह जाना कि, स्टॉप लॉस कैसे लगाएं ? ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस कितना होना चाहिए ? इस जानकारी से हमें स्टॉक मार्केट में काम करते वक्त फियर से बच सकते है। इन्वेस्टमेंट के लिए स्टॉप लॉस कितना होना चाहिए ? ट्रेलिंग स्टॉप लॉस क्या होता है ? यह जानकर हम लम्बे अवधि के निवेश में संयम रख सकते है। 

                हमने यह भी जाना कि, स्टॉप लॉस ऑर्डर बायिंग कैसे करें ? स्टॉप लॉस ऑर्डर सेलिंग कैसे करें ? इसके साथ ही स्टॉप लॉस की स्ट्रेटेजी भी देखी। और स्टॉप लॉस लगाकर हम अपने लॉस को किस तरह सिमित कर सकते है यह जाना। 


    FAQ ऑफ़ स्टॉप लॉस

    1) स्टॉप लॉस ट्रिगर होने के बाद क्या होता है?

    स्टॉप लॉस ट्रिगर होने के बाद स्टॉप लॉस ऑर्डर स्टॉक मार्केट में ओपन हो जाती है। उसके बाद वह ऑर्डर कम्प्लीट होती है।

    2) क्या इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस लगाना जरूरी है?

    हाँ, इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस लगाना जरूरी है। इससे लॉस कम होता है।

    3) क्या प्रोफेशनल ट्रेडर्स स्टॉप लॉस लगातें है?

    हाँ, प्रोफेशनल ट्रेडर्स अपने ट्रेड्स के लिये स्टॉप लॉस लगातें है।

    4) क्या स्टॉप लॉस ऑर्डर कभी-कभी फेल होती है?

    हाँ, कभी-कभी स्टॉप लॉस ऑर्डर ट्रिगर होने के बाद ओपन होकर कम्प्लीट ना होकर पेंडिंग ऑर्डर बन जाती है।

    5) स्टॉप लॉस ऑर्डर फेल होने पर क्या करना होता है?

    स्टॉप लॉस ऑर्डर फेल होने पर पेंडिंग ऑर्डर में बदल जाती है। उसे कॅन्सल करके जल्द से जल्द मार्केट ऑर्डर से ट्रेड को क्लोज करना होता है।

    6) ट्रिगर प्राइस किसे कहतें है?

    स्टॉप लॉस ऑर्डर को एक्टिव्हेट करने वाली प्राइस को ट्रिगर प्राइस कहतें है।

    7) स्टॉप लॉस नहीं लगाया तो क्या हो सकता है?

    ऐसी स्थिति में हमारा ट्रेड लॉस से कव्हर होकर प्रॉफिट में आ सकता है। या हमें बड़ा लॉस हो सकता है।



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    4 Comments

    1. Stop loss kaise lagana hai eske bare mai ,aur Trailing stop loss ke bare me nayi janakari mili

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      1. Thank you, for your comment.
        Aapka swagat hai. ham yahan par aisi hi nayi jaankari uplbdh karate rahenge.

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    2. Stop Loss Order se Buying aur Selling karne ke baare men jankr achcha lagaa.
      Thank You.

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      1. Thank You, for your comment. Taralmoney wel comes YOU.

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