![]() |
Support, Resistance and Trend Line in Hindi. |
सपोर्ट, रेजिस्टन्स और ट्रेन्ड लाइन का उपयोग "स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस" करने के लिए किया जाता है। इसे स्टॉक मार्केट चार्ट एनालिसिस भी कहते हैं। स्टॉक मार्केट चार्ट्स को जानने से हम इनका इस्तेमाल सही तरीके से कर सकते है।
सपोर्ट लाइन (Support Line)
"सपोर्ट याने की सहारा।" एकदम सिंपल, समज़ने में आसान। जैसे हम सभी को सपोर्ट की जरूरत होती है, वैसे ही Stock Market में शेअर के कीमत को भी सपोर्ट की जरूरत होती है। ताकि वह उठकर कुछ करें याने की बढ़ें।
सपोर्ट लाइन से कीमत, ऊपर की तरफ जाने की ज्यादा संभावना होती है। इसे "बाउन्स बॅक" कहते है। यहाँ पर खरीददारों की तादात ज्यादा होती है। शेअर की कीमत सपोर्ट को रिस्पेक्ट देती हुई दिखाई दें तो यह "बियरीश ट्रेंड की समाप्ति" का संकेत होता है।
आइए, इसे उदाहरण लेकर समज़ते है। यहाँ पर एक कंपनी का इंट्राडे चार्ट है। जिसकी पिछले दिन की क्लोजिंग प्राइस Rs.500 है। आज यह Rs.505 पर ओपन हुआ। कुछ ही समय में यह गिरना शुरू हुआ। और Rs.492 तक गिरा। वहाँ से रि-कव्हर होते हुए Rs.503 तक आया। तो Rs.492 यह सपोर्ट लेव्हल बनीं। सही है?
फिर शेअर नीचे गया और दुबारा उसी लेव्हल तक गिरा। और ऊपर जाने लगते ही कई सारें खरीददार एकदम से बायिंग करने आये। क्योंकी यहाँ पर Rs.492 सपोर्ट बना है। इसे चार्ट पर नीली लाइन से दिखाया है। सपोर्ट कन्फर्म होकर शेअर की प्राइस दिन के क्लोजिंग तक Rs.510 तक बढ़ गयी।
Support Line on the Chart. |
सपोर्ट लाइन के उपयोग
1 ) जब शेअर में गिरावट चल रही है। तब कीमत "कहाँ तक निचे जा सकती है।" इसका सपोर्ट लेवल से अंदाजा लगाया सकता है।
2 ) किसी शेअर में हमें निवेश करना है तो कीमत सपोर्ट तक निचे आते ही हम थोड़ा, थोड़ा बायिंग करना शुरू कर सकते है। इससे हमें "टेक्नीकली बेटर प्राइस पर निवेश" करने मौका मिलता है।
3 ) ट्रेडिंग में भी, ट्रेड लेने के लिए, सपोर्ट का सही इस्तेमाल करके हम "मुनाफे की संभावना" बढ़ा सकतें है। सपोर्ट पर काम करने से रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो को बल मिलता है। इंट्रा-डे में, बाईंग का ट्रेड, शेअर की कीमत, सपोर्ट से ऊपर जाने लगे तो लेते है।
5 ) अपने निवेश को हम सपोर्ट के निचे का स्टॉप लॉस लगाकर चल सकतें है। हमारे पोर्ट-फोलियो में से कोई शेअर गिरते हुए, अगर अपने महत्वपुर्ण सपोर्ट को तोड़ता है, तो यह "बेचने का इशारा" मान सकते है।
रेजिस्टन्स लाइन (Resistance Line)
"रेजिस्टन्स याने की बढ़ने में दिक्क्त" मतलब अवरोध। सही है ?
Stock Market में रेजिस्टन्स का यह मतलब होता है कि, कीमत की ऐसी लेवल जहाँ पर "सेलर्स ज्यादा संख्या" में बेच रहे है। यहाँ पर भाव ऊपर जाने में रुकावट आती है। इस भाव पर खरीदी के ट्रेड्स का टार्गेट हिट होने से सेलिंग होती है। और शॉर्ट सेलर्स भी सेल साइड का ट्रेड लेते हैं। इससे शेअर के भाव निचे जाते है।
यह "बुलीश ट्रेन्ड की समाप्ति" का संकेत होता है। रेजिस्टन्स से कीमत निचे जाने की ज्यादा संभावना होती है। इसे Stock Market में "करेक्शन" कहा जाता है।
आइए, रेजिस्टन्स लाइन को उदाहरण से समजते है। यहाँ पर एक कंपनी का इंट्राडे चार्ट है। जिसकी पिछले दिन की क्लोजिंग प्राइस Rs.500 है। आज यह Rs.501 के आसपास ओपन हुआ। वहाँ से ऊपर जाकर Rs.505 का टॉप लगाया। और यह Rs.498 तक गिरा। याने की ऊपरी लेव्हल पर टिक नहीं पाया।वहाँ से रि-कव्हर होते हुए वापिस Rs.505 तक आया।
फिर दुबारा निचे जाने लगते ही कई सारे सेलर्स एकदम से सेलिंग करने लगे। यहाँ से और निचे जाते हुए इसने Rs.490 का लो लगाया। इस उदाहरण में शेअर की कीमत का रेजिस्टन्स Rs.505 है। सही है ?
Resistance Line on the Chart. |
रेजिस्टन्स लाइन के उपयोग
हम रेजिस्टन्स के उपयोग निम्न प्रकार से कर सकते है।1 ) तेजी के दौर में, शेअर के भाव, "कितने ऊपर जा सकते है।" इसका अंदाजा रेजिस्टन्स लेवल देखकर लगाया जा सकता है।
उदाहरण में शेअर, पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस Rs.500 के ऊपर ओपन होकर Rs.505 तक गया। दुबारा बढ़कर वह उस प्राइस तक पहुंचा है।
2 ) शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के लिए जो बाईंग पोजीशन बनाई है। उसका टार्गेट रेजिस्टन्स लेवल के आसपास का सेट कर सकतें है। इससे हम ट्रेड से "महत्तम मुनाफा" ले सकते है।
अपने उदाहरण का चार्ट मध्यम अवधि का माना जायें तो हम अपना टार्गेट Rs.505 की रेजिस्टन्स लेव्हल पर लगा सकते है।
3 ) रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो के अनुसार, जिस शेअर की "रेजिस्टन्स लेवल काफी ऊँची है" ऐसे शेअर में खरीदी की पोजीशन लेना अच्छा सौदा माना जाता है।
अगर हमारे उदाहरण का चार्ट एक लॉन्ग टर्म चार्ट है ऐसा मानतें है तो इसमें साफ़ दिखाई दे रहा है कि, यह अपने रेजिस्टन्स के करीब ही है। ऐसे में हम निवेश ना करने का डिसीजन ले सकते हैं। हम निवेश का टार्गेट तय करने जा रहें है तो रेसिस्टन्स लेव्हल जितनी ऊपर होगी उतना अच्छा माना जाता है।
4 ) इंट्रा-डे में "बाईंग ट्रेड का टार्गेट" तय करने के लिए रेजिस्टन्स लेवल का उपयोग होता है।
जैसा की उदाहरण में चार्ट पर दिखता है कि, कीमत पहली बार निचे Rs.498 जाकर वापिस हरे निशान में आने पर हम इंट्राडे के लिये बाईंग का ट्रेड लें सकते है। इसका स्टॉप लॉस Rs.497 का लगायेंगे। और टार्गेट Rs.505 का याने की इंट्राडे सपोर्ट के निचे लगाएंगे।
5 ) अपने पोर्ट-फोलियो के शेअर में अपना तय किया हुआ लॉन्ग टर्म टार्गेट आने पर हम रेजिस्टन्स लेवल के आसपास "अपना मुनाफा ले सकते है।"
रेसिस्टन्स लेव्हल जब काफी ऊपर थी तब किये गये निवेश के लिए अपनी Rs.505 की रेसिस्टन्स लेव्हल अगर लॉन्ग टर्म चार्ट पर महत्वपूर्ण है तो टार्गेट तय करने के लिये इस्तेमाल की जा सकती है।
ट्रेन्ड लाइन (Trend Line)
![]() |
Trend Line Shows Up-trend on the Chart. |
ट्रेन्ड लाइन के सही उपयोग से हम ट्रेड की दिशा तय कर सकते है। ट्रेन्ड लाइन का रिस्पेक्ट करते हुए चल रहा चार्ट, ज्यादा अच्छा मुनाफा देने की काबिलियत रखता है।
![]() |
Trend Line Shows Down Trend on the Chart. |
ट्रेन्ड लाइन के उपयोग
1 ) ट्रेन्ड लाइन, शेअर के कीमत को सपोर्ट और रेजिस्टन्स के साथ सेट-अप करने के लिए बनाई जाती है। हम एक चार्ट पर "एक से ज्यादा ट्रेन्ड लाइन्स" बना सकते है।2 ) ऊपरी ट्रेन्ड लाइन और निचे की ट्रेन्ड लाइन से शेअर की "कीमत का चॅनेल" बनाया जाता है। यह स्ट्रेटेजी बनाने के लिए उपयुक्त होता है।
3 ) Stock Market में हर टाइम फ्रेम में याने की "लॉन्ग टर्म, शॉर्ट टर्म और इंट्रा-डे में भी" ट्रेन्ड लाइन का इस्तेमाल होता है। इससे आगे आने वाले वक्त में शेअर की कीमत का टार्गेट तय किया जा सकता है।
4 ) तेजी वाले ट्रेन्ड में, शेअर को "टेक्निकली सही कीमत" पर खरीदने के लिए यह बनाई जाती है। बाईंग का ट्रेड, सपोर्ट लेवल की ट्रेन्ड लाइन के नजदीक लेकर, ट्रेन्ड लाइन के निचे स्टॉप लॉस सेट किया जा सकता है। और जैसे-जैसे ट्रेन्ड चलता जाता है, हम स्टॉप लॉस ट्रेल कर सकते है।
5 ) गिरावट में शार्ट सेल करने के लिए ट्रेन्ड लाइन इस्तेमाल की जाती है। शॉर्ट सेल का ट्रेड, रेजिस्टन्स लेवल की ट्रेन्ड लाइन के नजदीक लेकर, ट्रेन्ड लाइन के ऊपर स्टॉप लॉस सेट किया जा सकता है। और जैसे-जैसे ट्रेन्ड चलता जाता है, हम "स्टॉप लॉस ट्रेल" कर सकते है।
सपोर्ट, रेजिस्टन्स और ट्रेन्ड लाइन की मर्यादा (Limitations)
सपोर्ट, रेजिस्टन्स और ट्रेन्ड लाइन यह टेक्निकल सेट-अप होता है। "फंडामेंटल कारणों से ट्रेन्ड बदल जाता है।" तो सपोर्ट को या रेजिस्टन्स को तोड़कर कीमत आगे चलती है। और स्टॉप लॉस ट्रिगर होता है।
कभी ऐसा भी होता है की हम इनके अनुसार सही ट्रेड लेते है। पर "प्राइस एक्शन ना होकर समय गुजरने से" ट्रेन्ड लाइन ब्रेक होकर, स्टॉप लॉस ट्रिगर हो जाता है।
उपयुक्त जानकारी
स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस की शब्दावली।
स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं ?
RSI इंडिकेटर इन हिंदी। शेयर को खरीदने के लिए RSI कितना होना चाहिए ?
Stock Market Pre-Mortem टेक्निकल एनालिसिस : एक नई आईडिया।
हमने यह जाना
टेक्निकल स्टडी सही से करके, चार्ट पर सपोर्ट, रेजिस्टन्स और ट्रेन्ड लाइन का इस्तेमाल करके, "Stock Market" से आसानी से पैसा कमाया जा सकता है।
"इस स्टडी से हमें काम करने के लिए सही डाटा उपलब्ध होता है।" और हमने यह भी जाना की इनकी मर्यादा क्या है ?
दोस्तों, स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने का हमारा तरीका कोई भी हो सकता है। काम स्टॉप लॉस और टार्गेट को ध्यान में रखते हुए ही करना चाहिए। इसके लिए सपोर्ट,रेजिस्टन्स और ट्रेन्ड लाइन सहायता करती है।
0 Comments