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Stock Market Derivatives क्या हैं ? Futures And Options क्या हैं ?

             दोस्तों, आज हम यहां पर मिलकर, "Stock Market Derivatives क्या हैं ? Futures And Options क्या हैं ?" यह जानेंगे। इसमें स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्स के बारे में हिंदी में जानकारी लेंगे। स्टॉक मार्केट फ्यूचर्स क्या होते हैं ? स्टॉक मार्केट फ्यूचर्स में ट्रेडिंग कैसे करते हैं ? स्टॉक मार्केट में कॉल ऑप्शन क्या होता है ? और स्टॉक मार्केट में पुट ऑप्शन क्या होता है ? स्टॉक मार्केट फ्यूचर्स और ऑप्शन के उपयोग क्या है ? यह जानकारी लेंगे। तो आइए शुरू करते हैं। 
Meaning of Stock Market Derivatives in Hindi.
Stock Market Derivatives.


            तो हम सभी, स्टॉक मार्केट से पैसे कमाने के इरादे से ही आते है। और यहां आकर हम अपने पैसे गँवाना भी नहीं चाहतें। वाह! कितना सही! ऐसा "डेरिवेटिव्ज" से कैसे किया जाता है ? यह जानना हमें जरूर दिलचस्प लगेगा। 


    स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्ज

                स्टॉक मार्केट में शेअर्स के खरीददारी और बिक्री के सौदे होतें है। इसमें ही शेअर्स खरीदने का और बेचने का "वायदा करने की सुविधाहोती है। इस सुविधा को डेरिवेटिव्ज कहते हैं। 

     

                स्टॉक मार्केट में शेअर्स व्यापार के दो सेगमेंट होतें है। कॅश सेगमेंट (प्रभाग) और डेरिवेटिव सेगमेंट (प्रभाग)। डेरीवेटिव सेगमेंट में वायदा कॉन्ट्रेक्ट होते है।  
                "Derivativesयाने की किसी चीज से उत्पन्न होने वाली, उसीके जैसी वाली चीज। शेअर्स और इंडेक्स दोनों के डेरिवेटिव्ज होते हैं। 
                
    इसे वायदा बाजार कहा जाता है। "वायदा करना याने की वादा करनाकी, भविष्य में तय समय पर, तय कीमत पर शेअर्स खरीदेंगे या बेचेंगे। वायदे को "Futures and Options" के जरिये किया जाता है। 
                यहाँ पर शेयर्स अंडरलाइंग असेट के रूप में काम करते है। शेयर्स की बढ़त और गिरावट का असर डेरिवेटिव्ज पर होता है। 

    स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्ज के प्रकार

                दोस्तों हमने यह जाना की, "Stock Market F&O क्या है। वायदा बाजार क्या है।" अब हम इनके प्रकार जानेंगे। Stock Market डेरीवेटिव में दो प्रकार में काम चलता है। 


    स्टॉक मार्केट फ्यूचर्स

                आम तौर पर देखा जाये तो, फ्यूचर याने की भविष्य। Stock Market में फ्युचर्स याने की "भविष्य की कीमत।याने की शेअर्स के लेन-देन का वायदा करने के लिए लगाईं गई कीमत। 

                नहीं समझे मेरी बात को ? इसे ज़रा ऐसे देखें, वर्तमान में बिक्रेतें और खरीददार मिलकर यह तय करते हैं की, आगे आने वाले निश्चित समय पर और निश्चित कीमत पर, हम आपको शेअर्स बेचेंगे और आप खरीदेंगे। ऐसा Contract होता है। इसे "Futures के contracts कहा जाता है।"
      

    फ्यूचर्स के उदाहरण

                फ्यूचर्स के कॉन्ट्रेक्ट्स, इंडेक्स सहित कई शेअर्स में होते है। आइये इसे उदाहरण लेकर समज़ते हैं। मेरे दोस्त के भाई, "मि. एस कुमार" अब हमें फ्यूचर्स में ट्रेडिंग करके दिखाएंगे।

    न्यूज़ क्या आने वाली है ? याने की इवेंट क्या है ?

                AZ कंपनी के रिज़ल्ट्स आने वाले हैं। अनुमान यह निकलकर आया है की, अच्छा मुनाफा पेश किया जायेगा। यह स्टडी हम इन्व्हेस्टिंग इंडिया पर कर सकते है। तो हम शेअर को खरीद कर रख सकते हैं। लेकिन "मि. एस कुमार" फ्यूचर्स में काम करना चाहते है। इसके लिए आगे की जानकारी जरुरी होती हैं।
      

    कंपनी के बारें में जानकारी 

    1) AZ कंपनी वायदा बाजार याने की एफ अँड ओ की सूचि में है। 
    2) शेअर का भाव Rs. 200 चल रहा हैं। 
    3) फ्यूचर्स का एक लॉट 500 शेअर्स का हैं। याने की क्वांटिटी 500 है। 
    4) कंपनी मंडे को रिज़ल्ट्स पेश करेंगी। आज का दिन मान लो की फ्राइडे है।
    5) चार्ट पर तेजी के संकेत हैं। शेअर प्राइस अपने सपोर्ट से ऊपर जा रही है। 


    शेअर प्राइस का टार्गेट और स्टॉप लॉस 

                शेअर का भाव Rs. 200 से बढ़कर Rs. 220 हो सकता है। और अगर निचे गया तो "स्टॉप लॉस" Rs. 190 का है। ठीक हैं ? तो, कॅश में 500 शेअर्स बायिंग करके Rs. 20 के अनुसार Rs. 10,000 का मुनाफा हो सकता है। लेकिन इसके लिए Rs. 100,000 कॅपिटल लगेगा। इतना "एस कुमार" के पास नहीं है।

    फ्यूचर्स में ट्रेड 

                फ्यूचर्स में इसी ट्रेड को लेने के लिए पूरी राशि का तकरीबन 15 % तक देना होता है। याने की Rs. 15000 लगाकर फ्यूचर्स का एक लॉट लिया।  तो इस तरह से एस कुमार ने वायदा याने की वादा किया की फ्यूचर में मुझे 500 शेअर्स Rs. 200 के भाव पर लेने है। सही हैं ?
                अब मंडे को दोपहर में, AZ कंपनी ने अच्छा प्रॉफिट डिक्लेअर किया और शेयर्स की प्राइस Rs. 220 के भी ऊपर जाने लगी। यहाँ पर टार्गेट पूरा होने से अपना फ्यूचर्स कॉन्ट्रेक्ट बेचकर एस कुमार ने Rs. 10,000 प्रॉफिट बुक किया। 

    स्टॉक मार्केट ऑप्शंस

                "ऑप्शन याने की विकल्प।" ऑप्शन में ट्रेड लेना याने की चुनना की, स्टॉक मार्केट ऊपर जाएगा या निचे। ऐसे ट्रेड्स हम, इंडेक्स और जिन शेयर्स में ऑप्शन ट्रेडिंग होती है ऐसे शेयर्स में ले सकते हैं। ऑप्शन्स का डाटा पढ़ने के लिए "Option Chain" को समज़ना जरुरी होता हैं। 

                स्टॉक मार्केट ऑप्शन्स यह फ्यूचर्स की ही तरह किये गए वायदा कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं। इनकी विशेषता यह हैं की, इनमें खरीददार की जिम्मेदारी उनके दिये गए प्रीमियम जितनी ही होती है। निफ़्टी के ऑप्शन्स की जानकारी लेने के लिए हम निफ़्टी ऑप्शन चेन देख सकते हैं।और बॅंक निफ़्टी के ऑप्शन्स की जानकारी हम बॅंक निफ़्टी ऑप्शन चेन पर जाकर ऑप्शन चेन पर क्लीक करके ले सकते हैं। 

                Stock Market ऑप्शन्स के खरीददार को शेअर्स खरीदने या बेचने का अधिकार मिलता है। मगर ऐसा करना अनिर्वाय नहीं होता। बल्कि ऑप्शन्स सेलर की जिम्मेदारी ज्यादा होती हैं। 

    ऑप्शन्स के दो प्रकार होते हैं।

    1) Call Options  कॉल ऑप्शन्स

                कॉल ऑप्शन्स लेकर हम "तेजी की पोजीशनबनाते है। कॉल ऑप्शन्स तेजी के तरफ वाले सौदें होते हैं। अगर हमें कोई शेअर - लगता है की ऊपर जायेगा, तो आम तौर पर हम उसे खरीदते हैं। और भाव बढ़ने पर बेचकर मुनाफा कमाते है। 

                ऐसा ही हम उस शेअर के ऑप्शन्स खरीदकर कर सकते है। यहां पर हम "Call Options" लेंगे। और भाव बढ़ने पर, बेचकर मुनाफा कमा सकते है।

                कॉल ऑप्शन्स के जरिये खरीददार को शेअर्स तय कीमत पर खरीदने का अधिकार होता है। याने की आगे चलके कीमतें बढ़ जाती हैं तो उसी तय की हुई कम प्राइस पर शेअर्स खरीदने के कॉन्ट्रेक्ट से जाहिर है फायदा ही होगा। है ना ? इसमें शेअर्स खरीदना कम्प्लसरी नहीं होता है। हम चाहिए तो शेअर्स लेंगे या कॉन्ट्रेक्ट बेचकर भाव बढ़ने का फायदा लें सकते है।


    2) Put Options  पुट ऑप्शन्स

                पुट ऑप्शन्स लेकर हम "मंदी की पोजीशनबनाते है। पुट ऑप्शन्स गिरावट के तरफ वाले सौदें होते हैं। अगर हमें कोई शेअर - लगता है की निचे जायेगा। तो जाहिर हैं की, हम उसे शॉर्ट सेल करते हैं। और भाव गिरने पर खरीदकर मुनाफा कमाते है।

                ऐसा ही हम उस शेअर के पुट ऑप्शन्स खरीदकर कर सकते है। यहां पर हम "Put Options" लेंगे। और शेअर के भाव गिरने पर, पुट ऑप्शन्स बढ़ते है। तो बढ़े हुए भाव पर, पुट ऑप्शन्स बेचकर, हम मुनाफा कमा सकते हैं। 

                पुट ऑप्शन्स के जरिये खरीददार को, तय कीमत पर शेअर्स बेचने का अधिकार मिलता है। अब आगे चलके शेअर्स के भाव गिर जाते हैं तो हम उन्हें तय किये हुए ज्यादा भाव पर बेच सकते है। क्योंकि हमारे पास वैसा कॉन्ट्रेक्ट है। ऐसा करना कम्प्लसरी नहीं होता है। शेअर्स के भाव गिरने से पुट ऑप्शन्स की कीमत बढ़ती है। इससे हमें फायदा होता है।


    स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्ज के उपयोग

                "Futures और Options का उपयोग Hedging" के लिए किया जाता है। हेजिंग करने से अपने पोर्ट -फोलियो को स्टॉक मार्केट की अस्थिरता से बचाया जाता है।  

                "हेजिंग" याने की अपने होल्डिंग में रखे शेअर्स का पुट ऑप्शन लेना होता हैं, या फिर फ्यूचर्स शॉर्ट करने होते है। 

                और अगर कोई शार्ट सेल पोजीशन ली हैं तो उसके सामने कॉल ऑप्शन लेना होता है, या फिर फ्यूचर्स में खरीददारी करनी होती हैं
                आगे शेयर की कीमत बढ़ने की आशंका हो तो शेयर ट्रेडिंग में लाभ होता है। और आगे शेयर की कीमत गिरने की आशंका हो तो डेरिवेटिव्ज में ट्रेड लेकर नुकसान को कम किया जाता है।

                Stock Market F&O में हर दिन काफी सारे सौदे होते है। यह बहुत ज्यादा "तरलहोते हैं। इनमें "इन्ट्रा-डे ट्रेडिंग करकेप्रॉफिट कमाया जा सकता है। जो सौदे इंट्राडे में क्लोज नहीं लिए जाते उनकी संख्या को "ओपन इंटरेस्ट" कहते है।  

                डेरिवेटिव्ज के कॉन्ट्रैक्ट्स की समय सीमा तय होती है। स्टॉक मार्केट में N.S.E. और B.S.E. यह दोनों एक्सचेंजेस फ्युचर्स और ऑप्शंस में कारोबार करने की सुविधा देते है। 


    स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्ज लॉट साइज

    लॉट साइज क्या हैं ?
    1) "लॉट याने की गठ्ठा।याने की बंच। स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्ज में लॉट याने की कॉन्ट्रेक्ट में समाविष्ट शेअर्स की संख्या। 
    2) लॉट साइज याने की एक ट्रेड में ली जाने शेअर्स की संख्या, जो की तय होती है। 
    3) लॉट साइज से "कम संख्या का ट्रेड नहींलिया जा सकता।

    उदाहरण - निफ़्टी का लॉट साइज 50 है। निफ़्टी बॅंक का लॉट साइज 25 है। ऐसे में हम इससे कम संख्या में ट्रेड नहीं कर सकते। और ज्यादा संख्या में ट्रेड करने के लिए लॉट की संख्या बढ़ानी होती है। 

    स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्ज एक्सपायरी

                Stock market F&O के सौदों को विशिष्ट समय के लिए लिया जाता है। उस "समय की समाप्ति को Expiryकहा जाता है।

                इंडिया में, हर महीने के "आखरी थर्सडेको मंथली एक्सपायरी होती है। और हर थर्सडे को वीकली एक्सपायरी होती है। 
                अगर उस दिन हॉलिडे आता है, तो प्रिवियस डे याने की बुधवार को एक्सपायरी होती है। 

    डेरिवेटिव्ज के बारें में हमने यह जाना

                इस टॉपिक में हमने यह जाना की, "Stock Market F&O क्या हैं ? वायदा बाजार क्या हैं ?"

                हमने इसमें स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव्स के बारे में हिंदी में जानकारी ली हैं। स्टॉक मार्केट फ्यूचर्स क्या होते हैं ? स्टॉक मार्केट फ्यूचर्स में ट्रेडिंग कैसे करते हैं ? स्टॉक मार्केट में कॉल ऑप्शन क्या होता है ? और स्टॉक मार्केट में पुट ऑप्शन क्या होता है ? स्टॉक मार्केट फ्यूचर्स और ऑप्शन के उपयोग क्या है ? इसके साथ ही लॉट साइज और एक्सपायरी के बारें में जाना। इनके उपयोग से हम अपने पोर्ट-फोलिओ को Stock Market में हेज कर सकते है।

    उपयुक्त जानकारी

    FII इंडियन स्टॉक मार्केट में क्यों आते हैं ?

    स्टॉप लॉस कितना होना चाहिए ? Trailing Stop Loss क्या होता है ?

    स्टॉक मार्केट के शब्द और उनके अर्थ।


    Derivatives FAQs

    1) क्या डेरिवेटिव सेगमेंट की कीमतें कॅश सेगमेंट के द्वारा निकाली जाती है ?

    जी हां। शेयर और इंडेक्स के कीमतों को अंडर लाइन असेट मानकर डेरिवेटिव्ज की कीमतें निकाली जाती है।

    2) फ्यूचर एंड ऑप्शन के सौदे किसे कहते हैं ?

    भविष्य में तय तिथि पर शेयर्स में खरीदी बिक्री के व्यवहार करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट बनाना। इसे फ्यूचर एंड ऑप्शन के सौदे कहते हैं।

    3) किन इंडेक्स पर फ्यूचर एंड ऑप्शंस की सुविधा उपलब्ध है ?

    बीएसई, एनएसई, बैंक निफ़्टी और चुनिंदा शेयर्स में फ्यूचर एंड ऑप्शन उपलब्ध है। इसके साथ ही कमोडिटी मार्केट में फ्यूचर एंड ऑप्शन उपलब्ध है।

    4) फ्यूचर एंड ऑप्शन के सौदे कब तक होल्ड किए जा सकते हैं ?

    फ्यूचर एंड ऑप्शन के सौदे एक्सपायरी डेट तक होल्ड किए जा सकते हैं। इसके आगे होल्ड करने के लिए रोल ओवर करना होता है।

    5) क्या फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग सुरक्षित होता है ?

    जी हां। फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग बीएससी एनएससी के द्वारा किया जाता है। इसलिए यह सुरक्षित होता है।

    6) क्या डेरिवेटिव्ज ट्रेडिंग से पैसे कमाए जा सकते हैं ?

    स्टॉक मार्केट का फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस करके डेरिवेटिव्ज ट्रेडिंग में पैसे कमाए जा सकते हैं। डेरिवेटिव्ज का इस्तेमाल ज्यादातर अपने निवेश को प्रोटेक्ट करने के लिए होता है।

    7) एट द मनी ऑप्शंस क्या होता है ?

    अंडरलेइंग ऐसेट की कीमत पर जो सौदे फ्यूचर एंड ऑप्शंस में होते हैं। उन्हें एट द मनी ऑप्शन कहते हैं।

    8) इन द मनी ऑप्शंस क्या होते हैं ?

    कॉल ऑप्शन में अंडरलेइंग ऐसेट से कम कीमतों में जो ऑप्शंस होते हैं और पुट ऑप्शन में अंडरलेइंग ऐसेट से ज्यादा कीमतों में जो ऑप्शंस होते हैं उन्हें इन द मनी ऑप्शन कहते हैं।

    9) आउट ऑफ द मनी ऑप्शन किसे कहते हैं ?

    कॉल ऑप्शन में अंडरलेइंग ऐसेट से ज्यादा कीमतों में जो ऑप्शंस होते हैं और पुट ऑप्शन में अंडरलेइंग ऐसेट से कम कीमतों में जो ऑप्शंस होते हैं उन्हें आउट ऑफ द मनी ऑप्शन कहते हैं।

    10) फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में लॉट का मतलब क्या है ?

    फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट की संख्या को लॉट कहते हैं। यह संख्या अंडरलेइंग असेट के कीमत पर डिपेंड होती है।

     

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    2 Comments

    1. Hi Sir,
      Derivatives ka estemaal karke Hedging karne ki Strategy bhi jarur batae.

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      1. Yes, We are going to prepare this type of Knowledge in detail very soon.

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